गरीबी पर कविता ( व्यंग्य ) – 3 Best Garibi Kavita | Poverty Hindi Poem

गरीबी पर कविता ( व्यंग्य ) : 3 Best Garibi Kavita | Poverty Hindi Poem – यहाँ गरीबी पर 3 बेहतरीन कविताएं प्रस्तुत की गई है। (1) गरीबी का स्माइल (2) गरीबों की गरीबी – नेताओं की हबीबी और (3) गरीब इंसान दूजा

गरीबी पर कविता

‘गरीबी का स्माइल’

नेता की जुबां पर अपना नाम देख गरीब दिया स्माइल।
कहाँ जाने वह बावला यह तो है वोट मांगने का स्टाइल।।

स्टाइल गरीबी मिटाने का नारा जोर शोर से लगाओ।
निकालों इनके नाम ढेरों योजनायें और गरीबों को पचाओ।।

पचा गए नेता गरीब किन्तु पचा ना पाये गरीबी।
इनके नाम से हुआ धनवान जो हुआ नेता के करीबी।

करीब रख माँ लक्ष्मी को पूजा की गरीब ने सदा दिल से।
किन्तु देवी लक्ष्मी ने निकाले आने दो आने मुश्किल से।

मुश्किल में पड़े कुबेर गरीब की गरीबी मिटाने।
धन तेरस को तो चढ़ा दिए थे गरीब ने बचे कुछे दाने।।

दाने दाने को रहा भारत में गरीब फिर भी मोहताज।
और हम कहे गर्व से देखो जी फेमस इंडिया का ताज।।

ताज का रंग फीका पड़े जब टूरिस्ट देखने आते।
देख सड़क किनारे फटेहाल इंसा फोटो खींच ले जाते।

फोटो ले जाके दिखाये चमचमाते इंडिया की सच्चाई।
ठीक ही तो बतलाते भारतवासी बताओ क्या है बुराई।

बुराई तो इस व्यवस्था में जिससे बड़ी गरीबी दिन रात।
धनवान मंदिर में चढ़ावे, नेता बस हिलाये हाथ।।

हिला के हाथ भाषण में समझाए, देखो जी हैं खाली।
गरीबी है मेरी जरूरत, तुम बजाओ प्रेम से ताली।।

—- Lokesh Indoura

पढ़ें – धन पर फनी कविता

भारत में सालो से नारा लगता आया। गरीबी मिटाओ गरीबी मिटाओ। और इस नारे को लगाते लगाते सरकारों ने गरीबों को ही मिटा दिया। फिर भी गरीबी ना मिटा पाये। बल्कि गरीबी ने दिन दोगुने रात चौगुनी तरक्की की। अब हाल यह है कि गरीब और गरीब होता है। और धनवान और भी धनवान बनता जाता है। पढ़ें – विवाह की वर्षगांठ पर कविता

Poverty Hindi Poem

गरीबों की गरीबी – नेताओं की हबीबी

नेताओं ने सदा निकाले रखा गरीबी मिटाने को छुरा।
इसलिए सालों से गरीबों का हाल रहा है जी बुरा।।

बुरा और बदत्तर देने की कोशिश नेताओं की रही जारी।
गरीबों से प्यार सदा दिखाकर कि धोखे की दावेदारी।

दावेदारी ऐसी कि गरीबों के लिए योजनाएं हजार।
हजारों तो गरीबों के नाम पर लिए साथ मे डकार।।

डकार तो कहीं बार ना आई जब तक ना खुली पोल।
नायक के मुखोटे में छिपाये रख खलनायक का रोल।

रोल कर गरीबों का नसीब खा गए चबा चबाकर।
लोकतंत्र ने गरीबों को अच्छा खासा रखा है फंसाकर।।

फंसा दिया चक्रव्यूह में लेकर गरीबी मिटाने का नाम।
जिन्होंने बनाये रखा गरीब, उन्ही का हो रहा गुणगान।।

गुणगान सुनकर नेता लेते रूप और अति भयानक।
तोड़ने को कसे कमर गरीबी के सारे मानक।।

मानक ही बन कर रह गई अब गरीब की गरीबी।
मिटती तब ही जब गरीब बन जाता मौत का हबीबी।।

( शब्दार्थ : हबीबी – प्यारा )

—– Lokesh Indoura

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गरीबी का हिंदुस्तान में बड़ा ही गजब आलम है। गरीब का घर कितना मुश्किल चल पाता है। यह वही जानता है। गरीबी में जीना जीवन को कई कठिनाइयों से सामना करवाता है। कुछ लोगों की स्तिथि तो देश में ऐसी ही कि उनको दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो पाता। गरीब और गरीब होता आ रहा है। और इस गरीबी के बढ़ने के अनेक कारण है। सबसे बड़ा कारण सरकारों की गरीबी मिटाने की इच्छा शक्ति की कमी रही है। पढ़ें – प्रेमिका को फनी प्रेम पत्र

गरीबी पर कविता

Garibi Kavita

गरीब इंसान दूजा

गरीब का जमाने से
रहा सदा ही बुरा हाल।
बहुत मेहनत करने पर भी
मिला सदा वह कंगाल।।

ना दया दिखाए देवी लक्ष्मी
ना दिखाये सरकार।
उल्टा गरीब से पूछे
और सुनाओ क्या है समाचार।

समाचार में गरीब गायब
दिखाए सदा आंकड़े।
नहीं दिखाए कैसे गरीब
सड़को व पुल के नीचे पड़े।

पड़े पड़े पल के नीचे
ले गए कुछ साँसे अंतिम।
कचरा समझ जला गई
नगर निकाय दूसरे दिन।।

बाते सब करे बड़ी बड़ी
पर ना दे कोई साथ।
हो जाए दूर परेशानी
जो बड़ा दे कोई हाथ।।

लेकिन कौन बढ़ाये हाथ
क्योंकि देना पड़ता धन।
प्रभु को चढ़ावा अच्छा लगे
मरने दो मरे निर्धन।

निर्धन बस क्या चाहे
रोटी कपड़ा और मकान
भूल बैठे सब सक्षम लोग
वह भी उनके जैसा ही इंसान

इंसान जो उनके समान प्रभु का पुत्र
जिस प्रभु की वह करते पूजा
सब इस संसार में आपसे में भाई
फिर क्यों समझ बैठे हो दूजा

—– Lokesh Indoura

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Poverty Hindi Poem

युगों युगों से गरीब का हमेशा बुरा हाल रहा है। गरीब इंसान हर युग में मिला है। गरीब ने कड़ी मेहनत करके गरीबी से निरंतर उभरने का प्रयास किया। और लोग गरीबी के कुचक्र से बाहर भी आये। किन्तु कहीं परिवार ऐसे रहे। जो हमेशा गरीबी के कुचक्र में फंसे ही रहे। Watch Video – Dosti Shayari Status

ऐसा लगता है गरीबी पर ना मैया लक्ष्मी दया दिखाती है। और ना ही कुबेर कभी प्रसन्न होती है। उल्टा सरकार और उनका अपनी प्रतिकूल नीतियों से गरीबों का दोहन कर लेती है। Garibi Par Kavita | गरीबी कविता | Poverty Par Kavita

गरीबी पर कविता

देश में गरीबी के जो सबसे बड़ा कारण है। वह है बेरोजगारी। देश की आबादी जीतनी है। उसके अनुरूप लोगों को रोजगार मिलना उतना आसान नहीं है। लोग गरीब है और अब तो रोजगार भी उन्ही लोगों को मिल पाता है जो रोजगार पाने में आर्थिक रुप से सक्षम हो। Watch – Zindagi Hindi Shayari

अतः गरीबी मिटाने के लिए जिस गरीब को रोजगार की जरूरत है। पहले वह रोजगार तो उसे मिले। किन्तु देश की स्तिथि ऐसी है। कि उस व्यक्ति रोजगार मिल ही नहीं पाता। Garibi Par Kavita | गरीबी कविता | Poverty Par Kavita Read – Funny Hindi Shayari

गरीबों को हर सरकार ने लाभ पहुंचाने की कोशिश की। और वास्तव में उन्होंने लाभ ही पहुँचाया। गरीबी को दूर करने का प्रयास नहीं किया। गरीब क्षणिक रूप से आर्थिक रूप से सहायता करने से दूर नहीं होती। Read – Best Hindi Vyangya

एक इंसान की जो प्रमुख जरूरतें होती है। वह है रोटी, कपड़ा और मकान। यदि यह चिंताएं मनुष्य की दूर हो जाए तो इंसान फिर गरीब नहीं है। और एक लोकतंत्र में यदि सरकार एक इंसान की इन चिंताओं को दूर ना कर सके। तो वाकई यह उस सरकार के लिए काफी शर्मिंदगी भरा है। गरीबी पर कविता | Garibi Kavita | Poverty Hindi Poem Read – Husband Funny Kavita

गरीबी ने हर किसी देश की विकास गति को रोका है। लेकिन कभी किसी देश ने दृढ मन से गरीबी को रोकने प्रयास नहीं किया। यही कारण है कि गरीब और गरीब होता गया। Read – Hindi Funny Articles

Poverty Par Kavita | गरीबी पर कविता

देश में कई लोगो की स्तिथि तो ऐसी ही है। जो गरीबी रेखा से भी नीचे जीवन यापन करते हैं। जिन्हे BPL में शामिल किया गया है। किन्तु अब उस BPL श्रेणी का भी उनको कोई लाभ प्राप्त नहीं है। गरीबी पर कविता | Garibi Kavita | Poverty Hindi Poem Read – New Hindi Jokes

समाज में कहीं ऐसे धनी लोग हैं। जो समाज में गरीब बनकर सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। जिन्हे सरकार के अंदर बैठे लोग समर्थन भी दे रहे है। इस तरह वह देश की गरीबी को और बड़ा रहे हैं। Read – Funny Hindi Quotes

इस प्रकार धनि लोगों द्वारा किये जाने वाले असामाजिक भ्रष्टाचार देश में गरीबों के प्रति सरकारी योजनाएं कमजोर होती है। और उनमे घोटाले सामने आते हैं। जिससे कहीं बार तो ऐसी योजनाए अपने लक्ष्य को प्राप्त किये बिना ही रह जाती है। गरीबी पर कविता | Garibi Kavita | Poverty Hindi Poem Go To – Home Page

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