बेवफाई पर ग़ज़लें | ग़ज़ल – 5 Bewafai Par Ghazal | Gazalen Hindi – यहाँ बेवफाई पर 5 बेहतरीन गज़ले दी हुई है।
बेवफाई पर ग़ज़लें
हम उस राह चले
हम उस राह चले, जहाँ जाना ना था।
मालूम था तुझे चाह के भी आना ना था।
पर कैसे गँवा देता वो हसीन पल।
सिर्फ यह सोचके, तुझे पाना ना था।
थड़प होती थी, तेरी मुझ पर खिलखिलाहट से।
करता कैसे गुस्सा, मानके मैं दीवाना ना था।
आदत बन गयी थी, तुझे देखने की।
नजरें दूर रखने का बहाना ना था।
हर दिन एक जजबात दम तोड़ता था।
करके तुझे बयां तुझे गंवाना ना था।
भेजे गए या लाये गए यूँ इस राह।
कुछ भी हो अफ़सोस हमें आना ना था।
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बेवफाई पर ग़ज़लें | ग़ज़ल – 5 Bewafai Par Ghazal
तुमने तो निगाहों में
तुमने तो निगाहों में नफरत पाल रखी है।
हमने झूठ ही मोहब्बत निकाल रखी है।
मालूम होता मुस्कान के काबिल भी नहीं हम।
बेवजह यह चाह कहीं साल रखी है।
बुझी हुई आग को हवा देने का क्या मतलब।
जब दगा की परछाई बदन पर ढाल रखी है।
अब तकलीफ़ क्यों हमारी निगाहों से।
नहीं यह शरारत फिलहाल रखी है।
क्यों तकल्लुफ करते हो दूर जाने का।
हमारी तो मोहब्बत हलाल रखी है।
जलते दिये के नीचे ही है अंधेरा
ना जाने क्यों नजदीकी पाल रखी है।
—– Lokesh Indoura
Bewafai Par Ghazalen
हर रात के बाद सवेरा क्यों है
हर रात के बाद सवेरा क्यों है।
मेरे चिराग के तले अँधेरा क्यों है।
बीते साल महबूब की आँखों में बिताये।
फिर आज भी उन्ही में बसेरा क्यों है।
तबाह हुआ दिल किसी गैर की खातिर।
बीती उम्र जानने अभी भी उसका क्यों है।
देखा जब भी आईना पाया नूर उसी का।
कोई तो बताये आईने का ऐसा चेहरा क्यों है।
चीखता है दिल, जजबात रोते हैं।
कोई सुन ना पाया, ज़माना बहरा क्यों है।
—- Lokesh Indoura
बेवफाई पर ग़ज़लें | ग़ज़ल – 5 Bewafai Par Ghazal
लम्हे लम्हे में
हम तो लम्हे लम्हे में सदियाँ पाल रहे हैं।
कोई है जो अभी भी बचपना ही संभाल रहे हैं।।
आईने भी सूरत से कैसे खेल खेले।
नई झुर्रियों में पुराना निकाल रहे हैं।।
एक जैसी दिल की गुफा और यादों की किताब।
दोनों ही खोलने पर बदहाल रहे हैं।
काश कोई लम्हा ख्वाबों से गिरा होता।
वहां शायद हमारे हँसते गाते गाल रहे हैं।
रातें इतनी सुनसान मानो जिंदगी सो गई।
सपने भी बोझ तले हो हलाल रहे हैं।
तकलीफें बड़ी हुई ले छोटे छोटे आशियाँ।
सूना छोटी छोटी खुशियां घर से निकाल रहे हैं।।
—- Lokesh Indoura
Bewafai Par Ghazal
कुछ पल ठहर के कुछ पल में चल दिये
कुछ पल ठहर के कुछ पल में चल दिये।
आज बनके आये थे कल बनके चल दिये।।
भूल गये सर्द रात, दोपहर की पीपल छाँव।
याद करो कितने हमने खुशनुमा पल दिये।।
मेरी हर आरज़ू तेरा ही सवाल थी।
कितनी बार करके पूरी मैंने तुझे हल दिये।।
पकड़ा अरमानों को मैंने इक बड़ा अरमान है।
समझ आया आज क्यों सबके सब फिसल दिये।।
याद थी तेरी बातें तेरी खुशबू रूह बसी।
वक्त के साथ साथ सब के सब निकल दिये।।
आज भी दोहराता हूँ आगे भी दोहराऊंगा।
तेरी इस याद ने जितने जितने कल दिये।
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Bewafai ki Ghazal
प्यार बड़ी ही अनोखी चीज़ है। क्योंकि प्यार में कभी वफ़ा है तो कभी जफ़ा है। जरूरी नहीं कि इश्क़ में हर किसी को वफ़ा ही मिले। प्रेम हर किसी के लिए एक अलग रूप लेकर आता है किसी को इसमें अपार खुशियां मिलती है तो किसी को अपार दुःख। बेवफाई पर ग़ज़लें | ग़ज़ल – 5 Bewafai Par Ghazal | Gazalen Hindi
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जीवन में प्रेम होना ईश्वर के वरदान से कम नहीं। क्योंकि प्रेम का एक अलग ही आनंद है। प्रेम से जीवन में नई उमंग व नए उत्साह का संचार होता है। बेवफाई पर ग़ज़लें | ग़ज़ल – 5 Bewafai Par Ghazal | Gazalen Hindi
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यहाँ पर लिखी गई बेवफाई पर गज़लें प्रेम प्रसंग के विरह रूप से जुडी है। जो प्रेम में धोखा खाने से सम्बंधित है। प्रेम इस संसार के अद्भुत रहस्य में से आँख है। प्रेम को जाना पाना उतना आसान नहीं है। इसे केवल किसी से प्रेम कर के ही जाना जा सकता है। इस बात में कोई दोहराय नहीं है कि प्रेम से बड़ा जादूकर इस संसार में कोई दूसरा विषय नहीं है। Read – 4 Reasons Love Infidelity Happen
इस संसार में प्रेम पर आधारित कहीं कहानियां किस्से आपको मिल जायेंगे। जिनमें प्रेम का बड़े ही अनोखे पहलूँ आपको दर्शाएं जायेंगे। प्रेम एक चिंतन का विषय नहीं है ना ही समझने का विषय है। क्योंकि इसका दिमागी गतिविधियों से कोई सरोकार ही नहीं है। प्रेम तो बस प्रेम से समझने का विषय है। बेवफाई पर ग़ज़लें | ग़ज़ल – 5 Bewafai Par Ghazal | Gazalen Hindi
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प्रेम एक दुर्लभ अहसास है। जो हर किसी को आसानी से नहीं मिलता। प्रेम ईश्वर एक रूप है। एक दिव्य अहसास एक शक्ति है। जो जीवन में कुछ करने की प्रेरणा देती है। प्रेम किसी को पाने का नाम ना होकर नाम है एक प्रकार से त्याग करने का। प्रेम करने वाले लोग प्रेम के बदले प्रेम की चाह नहीं रखते हैं। यदि चाह रखते तो प्रेम ही क्यों करते।
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सही मायनों में देख तो प्रेम एक ऐसी सजग प्रेरणा है जिसमें ईश्वर का निवास है। अतः प्रेम को समझना हर किसी के बस की बात नहीं है। क्योंकि यह अलौकिक है। प्रेम से अलौकिक विषय इस संसार में कोई दूसरा और नहीं है। इसमें जीवन का सम्पूर्ण रहस्य छिपा है।
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