Development Par Kavita : Best 2 भारत के विकास पर कविता

Development Par Kavita | भारत के विकास पर कविता – भारत के विकास की हालत नेताओं ने कैसी बना रखी है। आप भली भांति जानते हैं। यह Poetry देश के इसी विकास पर एक से हास्य व्यंग्य है। तो एन्जॉय करे साथ ही साथ में शेयर करना ना भूलें।

Development Par Kavita

नेताओं का विकास 

जब जन-जन ने ढूँढा कहाँ हो रहा विकास।
मिला नेता की पतलून के अंदर रोता हुआ विकास।।

रोता हुआ विकास जनता कराये चुप।
पूछा कहाँ हो आजकल, कहाँ गए थे छूप।।

बोला, कहाँ  गया था छूप, मत पूछो भारतवासी।
दिखूंगा हर रोज जब बड़बोले नेता होंगे नरकवासी।।

बड़बोले नेता होंगे नरकवासी तो देश बनेगा जन्नत।
उतारो भ्रष्ट नेताओं की पतलून फिर देखो भारत की किस्मत।।

देखो भारत की किस्मत जो अभी सिर्फ जुबान पर।
नेता लपेट के ऐसे फेंकते जैसे बिकता मैं दुकान पर।।

जनता बोली अरे भैया विकास ! , किस्मत तेरी खोटी।
बहुत कमजोर हो गया, चल खाले  तू भी रोटी।।

कैसे खाऊँ रोटी ,  दिन-रात देश मुझे कोसता।
और नेता तो जहाँ मिलता वहीं पकड़ के ठोकता।।

पकड़ के ठोकता फिर डालता पतलून में बांध लेता है नाड़ा।
जनता कितनी चिल्लाये, नेता विकास के नाम पे दिखाए पिछवाड़ा।।

दिखाए पिछवाड़ा , कहता नाड़ा  नहीं खुलेगा।
विकास होता नेता के लिए,  पतलून के साथ ही धुलेगा।।

पतलून के साथ ही धुलेगा विकास, बनाके ऐसे रखूँगा दास।
निजी स्वार्थ के आगे , विकास को  बना दिया  विनाश।।

बना दिया विनाश,  सो भारतवासी इसे भूल जाओ।
लटकी हुई है कब्र में टाँगे,  धक्का देकर घर जाओ।।

——- Lokesh Indoura

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देश के विकास में जो सबसे बड़ा रोड़ा है। वह भ्रष्टाचार है। आज भी कहीं जो बड़े बड़े ठेके हैं। वो बाहुबली लोग लेते हैं। और जनता का पैसा लुटते हैं। सरकार हमेशा की तरह मूक दर्शक बनी रहती है। Development Par Kavita | भारत के विकास पर कविता | Development Poem in Hindi पढ़ें – योग पर कविता (हास्य व्यंग्य)

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भारत के विकास पर कविता

विकास के नाम पर सत्यानाश

विकास के नाम पर देश में हो रहा विनाश
ढूंढो ढूंढो किया किसने यह सत्यानाश

कोई बोला अफसर कोई ठेकेदार तो कोई सरकार
बताओ जनता प्यारी कौन है इसका जिम्मेदार

क्योंकि हर तरफ विकास के नाम से लूट लिए वोट
और सड़क पानी की सुविधा के नाम पर बना लिए नोट

अब विकास विकास चिल्ला नेता दे रहे कंगाली
खुद की भर रहे जेबें जनता की कर रहे खाली

खाली जेब खाली पेट विकास को क्या जाने
यह तो वही बात घर में नहीं दान बुढ़िया चली भुनाने

लोकतंत्र ऐसा की पीस रही तिल तिल जनता
अफसर नेता बन बैठे हैं लुटेरे संता बंता

—– Lokesh Indoura

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देश में आज भी विकास की बहुत दरकरार है। कहीं क्षेत्र व गाँव आज भी विकास को तरस रहे हैं। लेकिन आजादी के सालों बाद आज तक उन इलाकों में विकास नहीं पहुंचा है। सरकारें आती है जाती है लेकिन वो क्षेत्र वहीं के वहीं रह जाते हैं।

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Development Poem in Hindi

विकास एक निरंतर प्रक्रिया है। जो वक्त और परिस्तिथि के अनुसार गतिशील रहती है। किन्तु इस विकास की प्रक्रिया पर कुछ नेता दीमक की तरह चिपक जाते हैं। ये इस प्रकार अपने स्वार्थों का भरण-पोषण करते हैं। और देश के विकास को खोखला कर देते हैं। पढ़ें – हिंदी पहेलियाँ

विकास का हर स्तर पर एक अलग स्वरुप है। विकास सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, भौगोलिक कहीं प्रकार से हो सकता है। विकास के इन सभी रास्तों पर नेता का पहरा होता है। यदि इस विकास की धारा में ये नेता अपना योगदान दें। तो विकास को और प्रगति मिलती है। और यदि अड़ंगा लगाएं तो विकास का स्वरुप कुरूप हो जाता है। Development Par Kavita | भारत के विकास पर कविता | Development Poem in Hindi पढ़ें – हिंदी कहानी

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कहीं बार नेताओं की Development Policy पर शक होता है। समझ नहीं आता वो विकास चाहते भी हैं या अपने स्वार्थ के विकास के हिसाब से विकास देखता पसंद करते हैं। पढ़ें – हिंदी कोट्स

पढ़ें – हिंदी कवितायेँ

Development की प्रक्रिया निरंतर चलती रहनी चाहिए। इसमें देश के जिम्मेदार लोग ही जब बाधा बन जाते हैं। तो इसका फल बुरा होता है। देश का लोकतंत्र शर्मिंदा होता है। Development Hindi Poem इसी पर आधारित एक प्रकार का हास्य व्यंग्य है। Development Par Kavita | भारत के विकास पर कविता | Development Poem in Hindi पढ़ें – ट्रेंडिंग जोक्स

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