Dussehra Article in Hindi – विजयादशमी पर व्यंग्य | दशहरा व्यंग – रावण भले ही मर गया हो। किन्तु आज हर रोज एक नया रावण पैदा हो रहा है। राजनीति में तो हर रोज जनता किसी ना प्रकार से रावण रूप का सामना कर रही है।
Dussehra Article in Hindi
कलयुगी रावणों का अंत कब ?
“ख़ुशी से चहक रही थी वो रावण को जलता देखकर।
उसने भी मारा था पत्थर रावण को हँसता देखकर।।”
बस आज वह युवती उसी पत्थर को ढूंढ रही है। हुआ यूँ कि एक राजनीतिक चमचा उसको सरे आम बजा गया। चमचा भी क्या करे दरअसल मोहतर्मा ने उसके प्यार की शहनाई को हर बार अनसुना किया।
सरे आम बीच सड़क पर वो उसको Purpose करता। पर पर्दानशीन नाजनी सिर्फ तिरछी आँखों से देखती और दबे पांव निकल लेती। फिर क्या राजनीतिक चमचा था, रावण तो पहले से मौजूद था।
आज ना केवल मि.चमचे ने युवती का सरेराह बेपर्दा किया अपितु दो से तीन थप्पड़ गालों पर रसीद भी कर दिए। आखिर चमचा था उस बड़े बाहुबली नेता का जिसने ना जाने कितनो की इज्जत को नोच कर खाया है। वो तो कृपा है उसके शरीफ चमचे की; कि लड़की घर तो चली गई।
यह कहना है हमारे कानून का। क़ानून……….. आप तो जानते है हर शहर , चौराहे , गली -गली में आप वर्दी के अंदर देखते ही होंगे। हाँ अपराध होने पर वो आपको नहीं देख पाता। देखता है नेता को , पैसे को और रसूखदारी को। देखता इसके पीछे किस रावण का सपोर्ट है।
और आप ठहरे सीधे – सादे राम लाल, जो खाली पीली शिकायत लेकर कानून के पास चला गया । वो तो कानून के रखवालों ने खाली -पिली।
क्या करे बेचारा कानून ये तो भगवान रामचंद्र के शत्रु रावण से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली है। जो अमर है हर वर्ष आने वाले दशहरे के समान। मनाते रहिये रावण की उम्र बढ़ाते रहिये।
हाँ कुछ धन, इज्जत और बची हुई जान है तो दे दीजिये वैसे कानून के हाथ तो इनके ही हाथ है, लम्बे होते हैं, छीन ही लेंगे। सुख – चैन तो छीन ही रखा है। वैसे भी आपको पता है।
विजयादशमी पर व्यंग्य | दशहरा व्यंग
सब ऊपर से ही ले लेंगे। ऊपर……. जहाँ कानून बनता है वहाँ पर भी तो कहीं तरह तरह के रावण विराजमान है। कोई पोर्न देख रहा होता है, कोई सो रहा होता है, कोई चिल्ला रहा होता है और देश इनको देख-देख कर रो रहा होता है।
खैर आज रोने की बारी उस युवती की है, कल किसी और की होगी। रोने दीजिये दरअसल यही राजनेताओं का बनाया रावण-राज्य है।
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विजयादशमी पर्व है बुराई पर अच्छाई की जीत का। इस दिन भगवान राम ने रावण को उसके पापों की सजा दी। रावण बड़ा ही अहंकारी था। वह स्वयं को सर्वशक्तिमान समझता था। दशहरा पर व्यंग्य | विजयादशमी व्यंग Read – Law Poem in Hindi
रावण में यदि देखा जाये तो मात्र एक ही बुराई वह स्वयं को सबसे सर्वश्रेष्ठ समझता था। लेकिन आज के लोग रावण से कहीं ज्यादा बुराईयां अपने अंदर पाले हैं। हर कहीं एक से बढ़कर एक रावण है। Dussehra Article in Hindi
आज का वातावरण त्रेतायुग के वातावरण से काफी ज्यादा बुरा है। आज घर घर में रावण हो रहे हैं और उन्होंने इस समाज में आतंक मचा दिया है। हर तरफ इनके पाप से लोग थर्रा रहे हैं। विजयादशमी पर व्यंग्य | दशहरा व्यंग
रावण को उसके पापों की सजा मिली। किन्तु आजकल के रावण जो पाप कर रहे हैं। उनको आज का कानून सजा नहीं दे पा रहा है। कहीं बड़े बड़े अपराधी कानून के द्वारा छोड़ दिए जाते हैं।