राम मंदिर पर कविता – 3 Famous Ram Mandir Poetry Hindi | Kavita

राम मंदिर पर कविता (हास्य व्यंग्य) – Famous Ram Mandir Poetry Hindi – यहाँ भगवान राम पर तीन बेहतरीन कवितायेँ हैं। राम मंदिर का सपना साकार, न्याय मंच से मंदिर मिला है, खेले नेता राम नाम से।

राम मंदिर पर कविता

राम मंदिर का सपना साकार

लो राम भव्य मंदिर का सपना, हो रहा साकार।
वर्षों की तपस्या के बाद मिला यह अनुपम उपहार।।

उपहार मिला हर हिन्दू को, खुश हुआ हिंदुस्तान।
राम तुम्हारी मर्यादा सा होगा विशाल और महान।।

महान तुम्हारा जीवन था, सर्वोत्तम था तुम्हारा शासन।
तुम्हारे जैसा कोई ना चला सका आज तक प्रशासन।।

प्रशासन में ना भेद था, ना होने दिया जन में संशय।
विनम्रताधारी सदा रहे, होकर भी तुम अपराजय।।

अपराजय तुम्हारा गौरव, कीर्ति है सदा सदा अमर।
तुम हो प्राणों से प्यारे, देह त्याग कर भी अनश्वर।।

है अनश्वर अविनाशी, कर दो यह जीवन मंगल।
हो आप हमारे परमपिता, करते हैं अभिनन्दन।।

——– Lokesh Indoura

कविता – न्याय मंच से मंदिर मिला है

सोया हुआ इतिहास हिला है।
न्याय मंच से मन्दिर मिला है।

हारा बाबर जीता भारत।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम मिला है।

सालों से चलते आ रहे संघर्ष को।
मंदिर के रूप में परिणाम मिला है।

दिवाली पर जलता दिया जिस के नाम का।
भारत को वह भगवान मिला है।

रखो नींव का पत्थर मंदिर निर्माण में।
राम को अपना पहचान मिला है।

रखो शांति , सौहार्द के संग।
राम को फिर से राम मिला है।

राम मंदिर के फैसले से पूर्व कविता

Ram Mandir Kavita

Ram Mandir Kavita

खेले नेता राम नाम से

खेले नेता राम नाम से खेल रहा कानून।
खेल-खेल में पहुँचा दिया राम मंदिर को मून।।

राम मंदिर को मून भेजकर न्यायाधीश जी सोये।
नेता संसद में पकड़े माथा माइक पर है रोये।।

माइक पर रोते – रोते हर नेता दोहरी चाल चला।
साढ़े चार सौ साल से अटका वहीं का वंही राम लला।।

वहीं का वहीं राम लला वही तारीख वही कोर्ट।
इन्तजार की घड़ियां कहीं ना कर दे  जनता में विस्फोट।।

जनता में विस्फोट मतलब फूटेंगे कुर्सी  नीचे पटाखे।
कुछ नेता पॉपकॉर्न बनेगें, कुछ देखोगे कुर्सी छोड़ के भागे।।

कुर्सी छोड़ के भागने वाले देख रहे तमाशा कुर्सी पकड़कर।
जैसे राम जी मंदिर खुद लायेंगे पैदल अयोध्या चलकर।।

पैदल अयोध्या चलकर राम तो कब के आ चुके।
मंदिर जो आस्था चाहती थी, नेता आस्था सहित खा चुके।।

नेता मंदिर खा चुके, खाना-पीना नेताओं का धंधा।
राम के जग में मंदिर के लिए हर नेता हो गया अंधा।।

होकर के अँधा मुंह से छोड़े शब्दबाण।
मंदिर नहीं बनायेगें भले ही ले लेंगे शब्दों से प्राण।।

ले लेंगे शब्दों से प्राण, तोड़ देंगे चिल्ला-चिल्ला के मायक।
त्रेतायुग में रावण था आज नेता है खलनायक।।

आज नेता है खलनायक सो मंदिर मांगो ध्यान से।
मंदिर की जगह मस्जिद ना पकड़ा दे नेता राम के नाम से।।

राम नाम के नाम से नेताओं ने वोटों की फसल उगायी है।
काट रहे उसे बार-बार जग में हो रही हिन्दू आस्था की हंसाई है।।

राम मंदिर पर कविता, Ram Mandir Poetry in Hindi | Ram Mandir Kavita

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