राजनीति पर व्यंग्य हास्य : Best 5 Indian Political Funny Satire Hindi

राजनीति पर व्यंग्य हास्य 5 – Indian Political Funny Satire Hindi – प्रस्तुत व्यंग राजनीती से प्रेरित है। पढ़े और शेयर करना ना भूलें।

राजनीति पर व्यंग्य

1 हास्य व्यंग – दाद खाज की राजनीति

वैसे तो राजनीति अर्थ होता है – ‘राज करने की नीति।’ लेकिन सच में देखें तो राजनीति के साथ राज करने की नीति कम अपने विपक्षी को दाद खाज करने की नीति ज्यादा है।

किन्तु इनके दाद खाज का प्रभाव पड़ता है भारतीय जनता पर। जनता इनकी नौटंकी को भली भांति देखती है।

और भांति भांति प्रकार से देखते हुए जनता भांति भांति प्रकार के नेता फिर से चुनती है। पर चुनने के बाद नेता फिर से एक ही थाली के चट्टे बट्टे हो जाते हैं।

फिर नेता जनता के दांत खट्टे कर देते हैं। जनता आशा के साथ फिर इनको देखती है। और प्रिय नेता आशा के साथ ही जनता को देखने रहने देते हैं।

अब आशा के साथ देखना जनता की आदत बन चुकी है। कभी कभी तो यह भी लगता है। जनता भी विकास प्रेमी ना होकर, पार्टी प्रेमी हो गयी है।

पार्टी प्रेम भी ऐसा सोशल मीडिया पर देश सम्मानीय पदों पर आसीन नेताओं को गाली दी जाती है।

खेर गाली तो नेताओं का आभूषण है। और जनता यह आभूषण समय समय पर नेताओं को पहनाती रहती है। Read – राजनीति पर शायरी

Indian Political Satire in Hindi

2 हास्य व्यंग्य – राम नाम की महिमा

भारत देश में राम के नाम की महिमा अपार – त्रेता युग में इसी के सहारे हनुमान ने किया सिन्धु सागर पार और कलयुग में यही राम नाम बन गया चुनावी प्रचार। रामायण से लेकर फेसबुक तक अब जय श्री राम जय श्री राम।

लड़का हो या लड़की सोशल मीडिया पर सब कर रहे  राम राम। कुछ Indian लडके-लड़कियों की  तो राम राम करते रामलीला, रासलीला में तब्दील हो रही है और शादी रूपी मिलन के बाद रासलीला, राम नाम सत्य में बदल रही है।

खैर अब यह राम का बदला है या राम भक्त हनुमान का यह तो नहीं पता। क्यों की हनुमान जी जब राम राम बोलते थे तो समझ में आता था कि एक ब्रह्मचारी इस नाम के सहारे अपनी जिंदगी गुजारना चाहता है

लेकिन लगता है कि आज का मानव राम नाम के सहारे अपना हिन्दू चरित्र दिखाना है कि वह कितना हिन्दू है। इसलिए राम लाल से लेकर रामप्यारी तक सब को राम से प्यार हो गया।

हाँ प्यार में राम नाम की बात करे तो लड़के लड़कियों को भले ही नहीं पर पति के लिए बड़ा फायदेमंद है। क्यों कि यह डरे हुए पति को साहस देता है, बैचैन को शांति और मरने के बाद मुक्ति देता है।

वैसे आप  को राम नाम कहाँ और कैसे use करना है  यह आपके टैलेंट पर डिपेंड करता है बस आपका हार्ट बीवी या गर्लफ्रेंड का नाम ना जपता हो वर्ना साइड इफ़ेक्ट भी दे सकता है।

कुछ लोगों को तो राम नाम लेते ही खांसी हो जाती तो किसी को अपनी वाइफ में शूर्पनखा नजर आती है तो किसी की याददाशत आशाराम, रामरहीम जैसे रामनाम ख़राब करने वालों के कारनामे याद करने लगती है और जब बाहर निकलती है तो जिंदगी बुढ़ापे में तब्दील और टुटा हुआ दिल लेकर राम मंदिर में दुआ माँगने चली जाती है।

Rajniti Par Vyang | राजनीति व्यंग्य

अब हमारा राम मंदिर तो मोदी जी बनाया नहीं पता नहीं वो दिन कब आयेंगे तो बात आपके समझ में आ गई होगी। यों मत कहना समझ में नहीं आयी क्यों कि समझे तो हम भी नहीं वैसे भी हमारा काम समझाने का है समझने का नहीं। “जय राम जी की “

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3 व्यंग – बदजुबानी का फर्जिकल स्ट्राइक

देश की सेना के विरुद्ध मनोबल गिराने के लिए अब देश में एक अत्याधुनिक हथियार विकसित हो गया है, वह है हमारे प्यारे नेताओं की जुबान

29 सितम्बर 2016 की रात को  देश के जवानो ने जो  पराक्रम दिखाया। भले ही उससे पाकिस्तान को भारतीय सेना ने एक सबक सिखाया हो।  पर कुछ राजनीतिक पार्टि व नेताओं की जुबान से यह सच्चाई आज भी बोली नहीं जा रही है।

अपनी पार्टी की नाक ऊँची करने के लिए व्यक्ति के नाक के नीचे रहने वाली नेताओं की यह जुबान ऐसे मुंह से  बाहर निकलती है  जैसे मिसाइल निकली हो और अपने सामने के प्रतिद्वंदी को ढेर कर देगी। 

लेकिन  जुबान जब तब देश और सेना के  सम्मान को नीचे गिराने का प्रयास किस – किस प्रकार से कर सकती है यही बताती है।

देश की सेना ने कैसे अपनी वीरता का परिचय देते हुए दुश्मन के घर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया यह पूरे देश को खुद सैन्य अधिकारीयों ने बताया।

लेकिन कुछ नेताओं  के लिए यह दिवास्वपन ही था  उनके कान इस पर विश्वास नहीं कर पाए,  वीडियो देखकर भी देख नहीं पाये 

आँखे अब भी  यही  देख  रही है कि विरोधी नेताओं पर वे सर्जिकल स्ट्राइक कैसे करें  अतः वे देश के वीर सपूतों के साहस को फर्जी ही मान रहे हैं।

और इनकी  जुबाने जिनमें बड़े बड़े नाम शामिल  है बस अक्ल काम कहीं नहीं  है। अपने सामने की पार्टी को नुकसान ना पहुंचाकर देश के गौरव और सम्मान को नुकसान पहुंचा रही है।

सच कहे तो ऐसी  जुबाने इनके नेता होने का बोझा उसी प्रकार ढो रही जैसे यह धरती माँ  बोझा ढोने वाले गधों का।

बेशक मेरे इस कथन से आप गधों का अपमान बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। क्यों कि गधा एक कुम्हार के लिए जितना उपयोगी है उतने ही अनुपयोगी इस देश के कुछ नेता हो गए हैं। 

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Rajneeti Par Vyangya

भाजपा पकोड़ा 

उम्मीद थी सरकार से बेरोजगार, गरीब, मिडिल क्लास को सबको मिलेगा लाभ थोड़ा-थोड़ा। लेकिन जेटली जी आप तो ले आये गरमा-गरम पकोड़ा।और डाल गए हमारी जेब में।

अब तो मिडिल क्लास की जेब भी खाली और नेताओं की हरियाली। जेटली जी बजट में कुछ तो खास लाते। पकोड़े की जगह च्यवनप्राश ही ले आते। कम से कम चाट ही लेते।

वैसे पिछले बजट की वो 70 लाख नौकरियों का क्या हुआ? जो आप बेरोजगारों को चटाने वाले थे। लगता है संसद की चटाई में ही गिरा आये। या फिर जेब में रख कर लाये थे कि संसद पहुंचते-पहुंचते जेब से निकल गई। अवश्य किसी बेरोजगार का कुर्ता पहना होगा तो जेब तो फटी हुई मिलेगी ही।

वैसे संसद में बड़ी तालियाँ बजी जब आपके बिरादरी वालों के लिए वेतन बढ़ने की घोषणा हुई।सरप्राइज तो इस बात पर है पेट्रोल डीज़ल भी आप वही रखने वाले हो। बस समझ नहीं आ रहा 5 रुपये का खरीद कर शरीर पर छिड़के या डिग्रियों पर।

पहले तो चूर्ण छाप नोट लाकर आपने सरप्राइज दिया अब तो आप लोग हमारी डिग्रियां ही चूर्ण छाप बना रहे हो।

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भारतीय राजनीति पर हास्य व्यंग्य

चौकीदार हूँ

सोचा नहीं था 2019 के Election की चुनावी लड़ाई सुरक्षा, बेरोजगारी, स्वच्छता जैसे मुद्दों पर ना होकर मैं भी चौकीदार हूँ और चौकीदार चोर के मुद्दे पर होगी। 2014 में देश के नागरिकों ने चाय पी और इस बार चुनाव में कोई चौकीदारी कर रहा था तो कोई चौकीदार को चोर बता रहा था।

खैर राहुल गाँधी का चौकीदार को चोर कहना उनके नजरिये से सही था क्योंकि नरेंद्र मोदी ने जब से PM की गद्दी संभाली थी। तब से राहुल जी का सुख, चैन सब चोरी कर लिया। चोरी किया जो तो किया मोदी भक्तों ने राहुल जी को पप्पू नाम और दे दिया। इस पप्पू नाम ने उनकी छवि एक नादान नेता के रूप में बना दी।

वैसे PM नरेंद्र मोदी की एक सबसे बड़ी खासियत यह है कि जो मामला उनके विपक्ष में होता है वह उसे अपने पक्ष में कर लेते हैं। चाहे वह गाली ही क्यों ना हो और राहुल जी के हालत यह हैं। कि जो भी उन्हें मिला उस पर जोक्स बनते चले गए। और राहुल जी की छवि को मोदी भक्त जोकर जैसी बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

अब देखिये प्यारे राहुल जी ने बड़े प्यार से माइक लाल का उपयोग करते हुए चौकीदार चोर है राग आलापा। तो उसी राग का सदुउपयोग करते हुए बीजेपी ने उसका गाना बना दिया – मैं भी चौकीदार हूँ। इस तरह मोदी जी पूरे देशवासियों को चौकीदार बना दिया।

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राजनैतिक व्यंग

राहुल जी का चौकीदार चोर नारा भले ही ना चला। किन्तु मैं भी चौकीदार हूँ का नारा खूब चला। ना केवल चला बल्कि चायवाले नारे की तरह ऐसा छाया कि राहुल जी पूरी तरह इसमें छिप गए। और फिर से मोदी PM बन गये।

मैं भी चौकीदार हूँ देश के विकास का मैं भी भागीदार हूँ। इस तरह की पंक्तियों से बीजेपी एक इमोशनल फीलिंग चौकीदार के प्रति जोड़कर इसे वोट में तब्दील किया।

अत: उसने अपनी इस मुहीम में सभी तबके के भारतियों को साथ में लिया है। राहुल के चौकीदार चोर के नारे की हवा निकालने के लिए इससे अच्छा और कारगर तरीका कुछ और हो भी नहीं सकता था।

यह तो बीजेपी ने वही कर दिया कि आम के आम और गुठलियों के दाम। चौकीदार चोर कहकर नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने के राहुल गाँधी के प्रयास को बीजेपी ने मैं भी चौकीदार हूँ कहकर एक तीर से दो निशाने लगाए हैं।

नरेंद्र मोदी जो कि एक ब्रांड है उनको बचाया है और इमोशन से वोटिंग में इजाफा स्वाभाविक सबको साफ साफ दिखा।

राहुल गाँधी ने चौकीदार को चोर कहकर खुद कोतवाल बना लिया। किन्तु इस कोतवाल को जनता का समर्थन मिलना जरूरी था।

क्यों कि यह सीधा मोदी को टारगेट करने के लिए एक उकसाने वाला शब्द राहुल जी ने उपयोग किया था।

अतः एक सामान्य जनता जिसने यदि किसी ना किसी तरह भारत सरकार की योजना का लाभ लिया। उसने इस पर वोट नहीं किया।

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Rajnetik Vyangya

एक कथन है कि दूसरे को अपमानित करने पर व्यक्ति खुद का सम्मान खोता है। सीधा-सीधा बिना किसी सबूत के आधार पर देश के प्रधानमत्री को चोर बताने वाला यह नारा कांग्रेस व राहुल गाँधी को उल्टा ही पड़ा। Read – About Narendra Modi

राजनीति में बहुत कुछ होता है। कभी कभी तो गधे को भी बाप बनाना पड़ता है। यह नहीं आज आप जिस मुद्दे के पक्ष में हैं। कल उसी मुद्दे या विचार का विरोध भी करते हैं। राजनीति पर व्यंग्य हास्य 5 – Indian Political Funny Satire Hindi

चूँकि मैं चौकीदार हूँ एक पॉजिटिव स्लोगन है वहीँ चौकीदार चोर है एक नेगेटिव स्लोगन। जो सीधा-सीधा दिखाई दिया। राजनीति पर व्यंग्य हास्य 5 – Indian Political Funny Satire Hindi

कि यह सिर्फ प्रधानमंत्री की छवि को खाक में मिलाने के उद्देश्य से ही बनाया गया था। अतः सार यही है कि चौकीदार चोर पर मैं भी चौकीदार हूँ भारी था। क्यों कि इसमें एक सकारात्मकता थी।

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