गणपति के अंगो का रहस्य | विशेषताएं – Ganesh Chaturthi 2023 | Scientific Importance – प्रथम पूज्य भगवान गणेश के अंगो का बड़ा ही प्यारा महत्व है . इनका हर एक अंग और नाम रहस्य छिपाकर रखता है . साथ ही motivational इम्पोर्टेंस भी है .
गणपति के अंगो का रहस्य | Secrets of Ganpati’s Body Parts in Hindi
प्रथम पूज्य भगवान् गणपति यूहीं नहीं देवों में श्रेष्ठ है . इसके लिए हर वह गुण है जो उनको देवों में अग्रणी बनाता है . भगवान् गजानन को मंगलमूर्ति भी कहते हैं . अर्थात वह ऐसी मूरत हैं जो मंगलदायी है . शुभ फलदायी है . उनके अंग अंग प्रेरणा प्रदान करते हैं . उनके जैसी योग्यता किसी और देव में ढूंढना आसान नहीं है .
गणपति के बिना किसी कार्य की शुरुआत नहीं की जा सकती है . यदि कोई कार्य गणपति की आराधना के बिना हो तो उसे अधुरा माना जाएगा या फिर उसमें कहीं प्रकार के विघ्न आयेंगे . भगवान् गणेश विघ्नहर्ता हैं . सच्चे मन से यदि उनका स्मरण किया जाए तो वह विघ्नों को आने नहीं देते हैं . साथ ही यदि मनुष्य उनके गुणों को अपना ले तो जीवन में उसे विघ्नों का सामना ना करना पड़े .
गणेश जी का रहस्य | Ganesh Ji ke Rahasya | गणपति के अंगो का रहस्य
उनकी शारीरिक बनावट ही कहीं गुणों से भरी पड़ी है . यह तो तय है कि मनुष्य के जीवन में नित नए दिन कोई ना कोई समस्या या घटना होती है . किन्तु यदि गणपति के यहाँ बताये गए गुणों को अपनाकर उनका सामना किया जाये तो हर बाधा आसानी से पार हो जाती है . तो चलिए जानते हैं भगवान् गणपति के उन गुणों को जो उन्हें सभी देवों में श्रेष्ठ बनाता है .
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गणेश जी का रहस्य | Ganesh Ji ke Rahasya
1 लम्बोदर –
भगवान् गणपति को पेट बड़ा है इसलिए उनको लम्बोदर भी कहते हैं . भगवान् गणेश अपने बाल्यकाल में माँ पार्वती के दूध का सेवन ज्यादा किया करते थे . उन्हें यह चिंता रहती थी कहीं उनके बड़े भ्राता कार्तिकेय आयेंगे और उनके हिस्से का दूध भी पी जायेंगे . एक बार इसी प्रकार से भगवान शिव ने उनसे कह दिया . तुम तो लम्बोदर हो पेट भरता ही नहीं है . तब से गणपति का नाम लम्बोदर भी हो गया .
भगवान् गणपति का लम्बा और बड़ा पेट इस बात का सूचक है कि आप किसी भी प्रकार कि कडवी या रहस्य पूर्ण बात को अपने पेट में ही रखे . क्योंकि ऐसा ना करने से आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है . सब कुछ बताया जाना सही नहीं है . आपको बात को पचाना आना चाहिए . हर अच्छे बुरे बर्ताव, व घटना को अपने पेट में रखें .
2 छोटी आँखे –
गणपति के नयन छोटे हैं जो उनके गंभीर प्रवृति व चिंतनशील होने के सूचक है . जीवन में यदि आपको कुछ करना है तो एक पूर्ण चिंतन जरूरी है . बिना सोच विचारे कोई काम नहीं करना चाहिए . गणपति ने जीवन में इसे भली प्रकार से अपनाया और इसी कारण जब क्ष्रेष्ठ देव कि प्रतियोगिता हुई तो वाहन मूषक होते हुए भी उन्होंने अपनी यह प्रतियोगिता जीत ली .
गणपति जी के रहस्य | Ganpati Ji Ke Rahasya | गणपति जी के रहस्य | Ganpati Ji Ke Rahasya
जब आप किसी कार्य को करो तो पूर्ण रूप से उस पर विचार कर लेना जरूरी होता है . बिना चिंतन किये हम सीधा किसी कार्य को अपने हाथ में ले ले तो हमें नुकसान उठाना पड़ सकता है. साथ ही छोटी आँखे इस बात का भी प्रतिक है कि हमें विषयों को गंभीरता के साथ लेना चाहिए .
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गणपति जी के रहस्य | Ganpati Ji Ke Rahasya
3 सूप जैसे बड़े कान –
गणेश जी के कान बड़े ही लम्बे और सूप जैसे हैं . यह इस बात का सूचक है कि आप बात तो सभी बड़े ही ध्यानपूर्वक सुने . किन्तु एक सूप के समान जो बात ग्रहण करने योग्य है उन्हीं को अपने अन्दर लें . बाकी व्यर्थ की बातों को ध्यान से निकाल दें . इस प्रकार आप एक तनाव मुक्त जीवन यापन करेंगे .
हमें हमारे जीवन में उन्हीं बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए जो बातें हमारे व दुसरे के हित से जुडी हो . ऐसी बाते जिनसे क्लेश हो उन्हें वहीँ का वहीँ सुनकर नकार देना चाहिए . गणपति जी ऐसे ही है जो ग्रहण करने योग्य है वहीँ वे स्वीकार करते हैं .
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4 बड़ा मस्तक –
बड़ा मस्तक प्रतिक है कुशाग्र बुद्धि का . भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है . वे बुद्धिमान देवता है . जो उनको ध्याता है वह निश्चित रूप से बुद्धिमान बन जाता है . उनका बड़ा मस्तक इस बात का सन्देश देता है कि हमें सदैव हमारी सोच को बड़ा रखना चाहिए . ऊँचा और उन्नत सोचना चाहिए जिसमें विश्व कल्याण निहित हो .
बड़ा मस्तक होना संकेत करता है कि आपको किसी भी विषय पर पूर्ण दिमाग के साथ काम करना है . दिमाग को पूरी तरह खोल देना है . आपको आपके मस्तिष्क की पूरी एनर्जी का प्रयोग करना है .
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5 हिलती डुलती सूंड –
भगवान गणपति की सूंड बड़ी ही सक्रिय है . जो हमेशा एक सन्देश देती है . कि हमें हमारे जीवन में सदैव सक्रिय रहना चाहिए . जो व्यक्ति सदैव सक्रिय रहता है . उसे दुःख और दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता है . गणपति महाराज की सूंड आपको दो प्रकार से घूमी हुई दिखाई देती है . एक तो दाहिने तरह और दूसरी बायीं ओर .
ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति को सुख समृद्धि चाहिए उसे दाहिने और मुड़ी हुई सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा का पूजन करना चाहिए . इसे विनायक प्रतिमा कहते हैं . अक्सर घरों में इसे ही स्थापित किया जाता है . वहीँ जिस व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय पानी हो . तथा यश की प्राप्ति करनी हो उसे बायीं ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणपति की प्रतिमा का पूजन करना चाहिए .
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6 एकदंत –
जब भगवान् परशुराम से गणेश जी का युद्ध हुआ तो उस वक्त उनका एक दन्त टूट गया और गणपति जी का नाम एक दन्त रह जाने से एकदंत हो गया . इसके बाद गणेश जी ने टूटे हुए दांत से लेखनी बना ली . इसके बाद भगवान गणेश ने इसी लेखनी से महाभारत नामक महाकाव्हय को लिखा . यह इस बात का प्रतिक है कि हमें चीजों का सदुपयोग करना आना चाहिए .
आपके पास जो कुछ भी है आप उससे ही अच्छे से अच्छा करने का प्रयास करें . बड़ी बड़ी लालसा ना रखें . आपके सामर्थ्य को जुटाकर जो भी आपके पास ही उसी के साथ अपने कार्य में जुट जाएँ .
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Conclusion –
भगवान गणेश इस प्रकार हमें अपने अंगों के साथ कहीं प्रकार के संकेतात्मक सन्देश देते हैं . इनको यदि हम जीवन में हम अपना लें .
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