रक्षा बंधन का इतिहास : History of Raksha Bandhan in Hindi

रक्षा बंधन का इतिहास : History of Raksha Bandhan in Hindi – यहाँ रक्षा बंधन की वे ऐतिहासिक घटनाएं है जिनके परिणाम रक्षा बंधन जैसा पावन पर्व हमारे सामने आया।

रक्षा बंधन का इतिहास : History of Raksha Bandhan in Hindi

रक्षा बंधन स्नेह का ऐसा पर्व है जो हर किसी के मन को छु लेता है। यह एक ऐसे प्रेम धागे का उत्सव है। जिसका किसी ना किसी काल खंड में एक इतिहास जरूर रहा है। यह ऐसा धागा है जिसने रक्षा का वचन दिया है। जिसने रिश्तों को एक नया नाम दिया है और रक्षा बंधन का यह त्यौहार उस इतिहास का अपने आप में संजोकर आपके सामने खड़ा है।

रक्षा सूत्र का जो पहला वर्णन हमें मिलता है वह राजा बलि व लक्ष्मी जी मिलता है। एक वक्त राजा बलि जो कि दैत्यराज, महादानी और महाप्रतापी थे। भगवान् विष्णु के वामन अवतार को तीन पग भूमि दान कर रसातल में चले गए। वहां रसातल में उन्होंने विष्णु जी की घोर तपस्या उन्होंने की। उनकी इस तपस्या से भगवान् प्रसन्न हुए।

राजा बलि ने इस का लाभ उठाते हुए भगवान नारायण से यह वचन ले लिया कि अब हर वक्त विष्णु जी को राजा बलि के सामने ही खड़ा रहना पड़ेगा। उनकी आँखों श्री हरी नारायण कभी भी दूर नहीं होंगे।

नारायण के इस वचन के देने के बाद अब भगवान् विष्णु जी को हर वक्त राजा बलि के सामने ही रहना पड़ रहा था। सारा ब्रह्माण्ड विष्णु के दर्शन को तरसने लगा। सबसे ज्यादा विकट स्तिथि देवी लक्ष्मी की थी। इस पर देवी लक्ष्मी नारद मुनि जी से इसका उपाय मांगती है। क्योंकि अब किसी के कुछ समझ नहीं आ रहा था। कि राजा बलि से विष्णु जी को वापिस कैसे लिया जाए।

जब विष्णु को सम्मुख रख कैद कर लिया बलि ने सारा जहान।
तब लक्ष्मी के रक्षा सूत ने रखी सबके सामने अपनी पहचान।।

History of Raksha Bandhan in Hindi

नारद मुनि के उपाय अनुसार देवी लक्ष्मी राजा बलि को एक सूत धागा बांधती है। और राजा बलि को अपना भाई मानकर उनसे भेंट स्वरुप भगवन विष्णु को मांग लेती है। तब जाकर भगवान विष्णु राजा बलि की कैद से मुक्त होते हैं। इस प्रकार जो पहला रक्षा सूत्र का उदाहरण है वह हमें हमारे पुराणों से मिलता है।

Raksha Bandhan Itihas : Draupadi Krishna Relation

रक्षा सूत बांधने का एक और जो सबसे फेमस उदाहरण हमें देखने को मिलता है वह द्रोपदी व कृष्ण का मिलता है। कृष्ण का फुफेरा भाई शिशुपाल बचपन से कृष्ण को अपना शत्रु मानता था। वह हर वक्त कृष्ण को गालियाँ देता था। कृष्ण ने अपनी बुहा को वचन दिया था कि वह शिशुपाल के 100 अपराध माफ़ करेगा किन्तु यदि शिशुपाल 100 से एक कदम भी आगे बढ़ा तो उसी पल उसका वध कर दूंगा।

एक राजसभा में शिशुपाल, दुर्योधन व अन्य कौरवों की कृष्ण व पांडवों के साथ भेंट होती है। वहां शिशुपाल अपनी आदतों के अनुसार कृष्ण को गालियाँ देता है। कृष्ण उससे बार बार चेतावनी देते है किन्तु वह सारी सीमाएं लांघ जाता है। और 101 वीं गलती कर देता है। परिणाम स्वरुप कृष्ण सुदर्शन चक्र का आह्वाहन करते हैं। और शिशुपाल का वध कर देते हैं।

इस वध के दौरान श्री कृष्ण की उंगली में कट लग जाता है और हाथ से खून बहने लगता है। यह देख द्रोपदी तुरंत अपनी साड़ी से एक कपड़ा फाड़ती है और श्री कृष्ण को यह चीर बाँध देती है। यह देख श्री कृष्ण द्रोपदी को इसके बदले रक्षा का वचन देते हैं। इसके बाद जब दुःशासन द्रोपदी का चीर हरण करता है। तो द्रोपदी अपनी रक्षा के लिए कृष्ण का आवाहन करती है।

द्रोपदी का चीर यूँ नहीं बढ़ाया गया गिरधारी।
पांचाली ने पहले लपेटी थी फाड़ के साड़ी।।

रक्षा बंधन का इतिहास

परिणाम स्वरुप यह होता है कि दुःशासन द्रोपदी का चीर हरण करता रह जाता है और द्रोपदी का चीर बढ़ता ही चला जाता है। यह स्वाभाविक रूप से बड़ा ही आश्चर्य जनक होता है। और सभी को कृष्ण की शक्ति और रक्षा वचन का अहसास हो जाता है।

Raksha Bandhan History : Rani Karnawati Aur Humayun

तीसरा जो सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक उदाहरण जो हमें मिलता है वह रानी कर्णावती व हुमांयू से मिलता है। रानी कर्णावती जो कि राणा सांगा की विधवा और मेवाड़ की रानी थी। गुजरात का सुल्तान बहादुर शाह उस वक्त मेवाड़ पर आक्रमण की तैयारी शुरू कर देता है। तो फिर रानी कर्णावती दिल्ली शासक हुमायूँ को राखी भेजती है।

यहाँ हुमायूँ कर्णावती को बहन मानकर मेवाड़ की तरफ आता है। किन्तु उसने आने में बहुत देर कर दी थी। रानी कर्णावती ने अन्य रानियों व दासियों के साथ जौहर कर लिया था। इस पर हुमायूँ विक्रमादित्य को मेवाड़ का राजा बनाकर वापस दिल्ली लौट जाता है।

इस प्रकार से रक्षा बंधन एक एक इतिहास हमारे सामने आता है। यही वह दिन है। जब श्रवण कुमार की राजा दशरथ के द्वारा अनजाने में हत्या हो गई थी। रक्षा बंधन में श्रावण माह का अंत हो जाता है। पूरे श्रावण माह में शिव की पूजा होती है और बिल पत्र चढ़ाये जाते हैं।

इस प्रकार देखें तो राजा बलि से लेकर कर्णावती के प्रसंग तक रक्षा बंधन का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। इस दिन बहने अपने भाई के मस्तक पर कुमकुम रोली का टीका करती है। वह उसकी दीर्घायु की प्रार्थना करते हुए मिठाई खिलाती है। यह बड़ा ही पावन और हर्ष का त्यौहार है।

सीमा पर जो जवान होते हैं या जिनके भाई कही दूर जॉब कर रहे होते हैं उनकी बहने उनको डाक से राखी भेजती है। इस डाकघर भी विशेष प्रकार की छूट देता है। साथी ही जवानों को वहां के स्थानीय लोग भी राखी बांधते हैं। वैसे भी वे जनता की सुरक्षा का कार्य कर रहे हैं।

Raksha Bandhan History in Hindi

रक्षा बंधन का इतिहास : History of Raksha Bandhan in Hindi

यह भाई बहन का पर्व बड़ा ही पावन और सुन्दर है। बहन की शादी होने के बाद वह पराये घर में चली जाती है। किन्तु रक्षा बंधन का पर्व ऐसा पर्व है। जिसके बहाने वह मायके आ जाती है। यह रिश्तों को जोड़ने वाला बड़ा ही ख़ूबसूरत त्यौहार है। जिसकी जीतनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है।

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रक्षा बंधन का ऐतहासिक परिचय : Raksha Bandhan History in Hindi

इस प्रकार देखे तो सावन की पूनम को मनाया जाने वाला यह पर्व अपने आप में ढेरों राज छिपाये हुए है। इस दिन को केवल आज की संस्कृति के अनुसार नहीं देख सकते। आज देखें तो केवल सगी बहने ही अधिकांशतः भाई को राखी बांधती है। किन्तु अगर इसकी तह में जाए तो राखी कि नींव ही मुंह बोली बहनों ने रखी है। रक्षा बंधन का इतिहास : History of Raksha Bandhan in Hindi जानिए – गुरु पूर्णिमा पर क्या करना चाहिए

रक्षा सूत्र वह अमूल्य धागा
जिसका महत्व द्रोपदी लक्ष्मी जानी
प्रेम के इस पर्व की चली आ रही
देखो सदियों से रीत पुरानी
यह कथा है विष्णु की
यह कथा है कृष्णा की
कथा यह द्रोपदी की
आज कथाएं जगत में व्याप्त
ऐसे बना है रक्षा बंधन का इतिहास

रक्षा बंधन का ऐतहासिक परिचय : Raksha Bandhan History in Hindi

हमारे देश में रक्षा सूत्र केवल भाई को नहीं बांधा जाता है। भाई के साथ यह तावजी पिताजी आदि को भी बाँधा जाता है। छोटी बहने भी बड़ी बहन को राखी बांधती है। गुरुजनों को भी राखी बांधने की परम्परा इस दिन है। हर वह व्यक्ति जो पूजनीय है उसको भी राखी बाँधी जाती है। सेना के जवानों से लेकर बड़े नेताओं को भी राखी बाँधी जाती है। रक्षा बंधन का इतिहास : History of Raksha Bandhan in Hindi पढ़े और शेयर करें – छोटे बच्चों की बर्थडे शायरी

राखी के दिन व्यापार जगत में हल चल रहती है। बहनों की खरीदारी से बाज़ारों में एक प्रकार की रौनक होती है। जीवन आनंदमय और उल्लासित रहता है। सभी के अंदर एक प्रकार की उमंग और उत्साह इस दिन होता है। रक्षा सूत बंधने से हर भाई की कलाई सजी धजी रहती है। रक्षा बंधन का इतिहास : Raksha Bandhan History in Hindi जानिए – वजन कम करने वाले योग

इस दिन घर में पारम्परिक पकवान हलवा, पूरी, खीर, माल पुए, घुघरी इत्यादि बनते हैं। तरह तरह की मिठाइयां लोग बाजार से लाते हैं और कुछ अपने घरों में ही बनाते हैं। यह पर्व सभी को बेहद ख़ुशी प्रदान करता है। पढ़े – पर्यावरण प्रदुषण पर कविताएं

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रक्षा बंधन के इस पर्व की आप सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनांए। आपकी और आपके परिवार की खुशियां सदा बनी रहे। आप यूँ ही हर वर्ष रक्षा बंधन का त्यौहार हर और उल्लास के साथ मनाते रहें यह मस्करी ब्लॉग की तरफ से दुआ है। रक्षा बंधन का इतिहास : History of Raksha Bandhan in Hindi विजिट करें – बेस्ट पर्यावरण प्रदूषण नारे

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