मजेदार हिंदी कहानी – ‘यमराज का बुलावा’ 5 आत्माएं – Majedar Hindi Kahani

मजेदार हिंदी कहानी – ‘यमराज का बुलावा’ 5 आत्माएं – Majedar Hindi Kahani – यह कहानी आप पूरी पढ़े आपको निश्चित रूप से यह मजा देगी।

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‘यमराज का बुलावा’

धर्म के देवता व काल के स्वामी यमराज अपनी न्याय गद्दी पर आसीन थे। और चित्रगुप्त के साथ आत्माओं के पाप – पुण्य का लेखा जोखा देख रहे थे। ये वो भारतीय आत्माएं थी जिनमें असमंजस था। कि उन्हें स्वर्ग भेजा जाये या नर्क में। अतः इन्हें पेंडिंग रखा गया था। यमराज जी व चित्रगुप्त ने इनके लिए अलग से समय निकाला।

चित्रगुप्त जी – प्रभु यह राजू छिलके की आत्मा है। राजू छिलका ने काफी लड़कियों को छेड़ा है। किन्तु कहीं लड़कियों की क्लास में पढ़ते समय मदद भी की थी। प्रभु आप ही बताएं छिलके को स्वर्ग में फेंके या नर्क में।

यमराज जी – मामला वाकई काफी गंभीर है चित्रगुप्त। मि. राजू छिलका बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है। स्वर्ग जाओगे या नर्क। (यमराज जी ने राजू छिलके से पुछा)

राजू छिलका – प्रभु कहीं भी भेज दो – बस जहां भी भेजो वहां आइटम अच्छे हो।

चित्रगुप्त – आइटम बोले तो छिलके, महाराज यमराज समझे नहीं।

राजू छिलका – कहने का मतलब सुन्दर कन्यायें जहाँ हो प्रभु। आये दिन आइटम डांस देखने को मिले। अपने लिए तो वह जगह स्वर्ग से भी बढ़कर है।

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चित्रगुप्त – घोर पापी प्रभु ! घोर पापी। यह पक्का नरक में जाने योग्य है।

यमराज जी – धीरज धरो चित्रगुप्त। राजू छिलका के बारे में पहले पूर्ण सुनिश्चित तो कर लें। केवल राजू की मनचली भावना के आधार पर न्याय नहीं दे सकते। तो छिलका सर्वप्रथम तो तुम यह बताओ – तुम मरे कैसे ?

राजू छिलका – यमराज जी ! हुआ यूँ के मैं केला खाते हुए एक लड़की का पीछा कर रहा था। मैं जैसे ही केला खाकर छिलका फेंका। तो पीछे से हॉर्न की आवाज आयी। मुड़के देखा तो ट्रक।

यमराज जी – और ट्रक ने तुझे छिलका बना दिया। मतलब ट्रक ने तुझे पीछे से मारा।

चित्रगुप्त – क्यों रे छिलके तेरे शहर में ट्रक सामने से नहीं आते। ज्यादातर ये ट्रक टक्कर पीछे से क्यों मारते हैं। साला मरने और मारने का मजा ही खराब कर देतें हैं।

राजू छिलका – नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। ट्रक ने ना तो आगे से मारा ना पीछे से। दरअसल ट्रक मारता उससे पहले ही मैं केले के छिलके पर फिसल गया। और ट्रक ऊपर से निकल गया।

हा ……. हा ….. हा ….. हा ……… सभी जोर से हँसते हैं।

तो फिर मरा कैसे।

राजू छिलका – ये तो आप ही बताओ। कि आप ने बिना मरे उठाया कैसे ? कैसा यमराज का बुलावा है ? क्या ये पाप नहीं है ?

यमराज जी – साइड में खड़ा कर दे इसको। अभी इसके बारे में बाद में विचार करेंगे।

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चित्रगुप्त – प्रभु अब जो ये दूसरी आत्मा है। वह एक लड़की की है इसका नाम लाली रुपाली है। पेशे से यह एक टीचर थी। इसने बच्चो का बहुत मार मार के लाल किया। लेकिन साथ ही इसने अनेक नस्ल के बहुत सारे कुत्त्ते भी पाल रखे थे। जिनको इसने बहुत प्यार से लाल किया। यह लाली के पाप पुण्य का लाल लाल इतना हो गया प्रभु कि कुछ समझ नहीं आ रहा।

यमराज जी – अरे पाप पुण्य छोड़ो चित्रगुप्त ? इसका मेकअप देखो। कितना डरावनी है लाली रुपाली ? शक्ल से ही नरक में जाने लायक है। स्वर्ग में भेजकर दाग थोड़े ही लगाना है।

रुपाली – नहीं प्रभु फिर कभी मेकअप नहीं करुँगी। प्लीज स्वर्ग भेज दो। चेहरे पर काले दाग देखकर ही तो मुझे हार्ट अटैक आया था। लिपस्टिक, पावडर, क्रीम का आज से उपवास शुरू प्रभु। प्लीज स्वर्ग में ही जाने दो।

चित्रगुप्त – नहीं प्रभु ! ऐसी स्त्री के लिए स्वर्ग में तो कोई जगह हो ही नहीं सकती। मेकअप करके ना जाने कितनों का हार्ट अटैक दिया होगा। यह शुद्ध पापिन हैं।

यमराज – वैसे एक बात कहूँ चित्रगुप्त ! यह स्वर्ग और नरक दोनों के लिए नहीं हैं। ऐसी लड़कियों के लिए धरती ही उपयुक्त है। क्यों कि हो ना हो लोगों की जान लेने में हमारी एक प्रकार से सहायक है। ( रुपाली को देखकर ) रुपाली तो फिलहाल तुम साइड में खड़ी हो जाओ।

रुपाली – प्रभु क्यों वेट करवा रहे हो। धरती पर वापिस भेजना हो तो भेज दो ना। मेरा बॉयफ्रेंड मेरा वेट कर रहा होगा। वैसे भी आपके दूत बॉडी सहित ले आये। हार्ट अटैक आया था। मरी नहीं थी।

चित्रगुप्त – हाँ तो कौनसा बॉयफ्रेंड के बिना मर ही जायेगी। वैसे भी तेरा दसवां बॉयफ्रेंड था। ग्यारवां फिर बना लेना। फिलहाल साइड में खड़ी हो जाओ नादान लड़की।

यमराज – अगला कौन है चित्रगुप्त ?

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चित्रगुप्त जी – प्रभु अब जो दुविधा वाली आत्मा है। वह है पप्पू रेज़र की। पप्पू रेजर बाल काटने का काम करता है। इसने कहीं लोग के सर का बोझ कम किया है। पर ये अपनी पत्नी के लिए ही बोझ है। पत्नी को प्यार नहीं करता है। परायी स्त्री पर नजर रखता है।

यमराज – वाकई काफी गलत बात है। जब इसके पास नजर रखने के लिए खुद की स्त्री है। फिर परायी स्त्री पर नजर रखना कितना मूर्खता भरा है। इस गन्दी आदत की वजह से तो रेजर दाढ़ी बनाते वक्त किसी की गर्दन भी काट सकता है। वैसे एक बात बता तुम मरे कैसे पप्पू रेजर। (पप्पू रेजर से पूछा )

पप्पू रेज़र – प्रभु वहां एक लड़की थी।

चित्रगुप्त – घोर पापी प्रभु ! घोर पापी ! फिर लड़की। मरते वक्त भी परायी स्त्री पर नजर।

पप्पू रेज़र – सुन तो लो प्रभु।

यमराज जी – हाँ बोलो रेजर।

पप्पू रेज़र – एक लड़की थी प्रभु। एक लड़की …. एक लड़की ….. एक लड़की

यमराज जी – अरे आगे बोलो। मैं उस लड़की का बाप नहीं हूँ। लड़की थी। …….. लड़की थी।

पप्पू रेज़र – हाँ प्रभु वहां लड़की नहीं। लड़की का बाप ही था। बस पिताजी को देखा और अब आपको देख रहा हूँ।

यमराज जी – ठीक है अभी साइड में खड़ा हो जा। चित्रगुप्त नेक्स्ट कौन है ?

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चित्रगुप्त – प्रभु अगली आत्मा है जुगनू मनचला।

यमराज – हाँ तो कैसे आये जुगनू मनचला।

जुगनू मनचला – बाइक से प्रभु ! बाहर खड़ी है। अंदर लाऊँ।

“क्या ?” – यमराज व चित्रगुप्त आश्चर्य से साथ में बोले।

जुगनू मनचला – अभी कल ही खरीदी है प्रभु।

यमराज – वैसे बता अब कहाँ जायेगा। स्वर्ग या नर्क।

जुगनू मनचला – ना नरक में , ना ही स्वर्ग। जुगनू तो जायेगा घर।

चित्रगुप्त – क्या बोलै इडियट ? तेरे बाप का राज है।

जुगनू मनचला – नहीं माँ का राज है। वो इंतज़ार कर रही है मेरा घर पे।

यमराज – तो आया क्यों था ?

जुगनू मनचला – अब पूछी ना काम की बात। अब क्या बताऊँ। पेट्रोल कितना महंगा हो गया धरती पर। सोचा यहां से ले लूँ।

यमराज जी – अरे चित्रगुप्त कौन है यार। ऐसा कर बाँध इसको इसकी बाइक के साथ और 5 रुपये का छिड़क के लगा दे। पेट्रोल – पेट्रोल। (जुगनू की तरफ चेहरा घुमा कर ) नालायक ! यदि पेट्रोल ही होता तो ये देवता लोग काहे को गाय, बैल, शेर आदि पर घूमते। तेरी तरह बाइक से आ जा नहीं सकते थे। हद कर दी मूर्खता की। साइड में खड़ा हो जा। तेरा पहले पोस्टमार्टम करवाएंगे कि तु जिन्दा है या मर गया।

हास्य कथा

चित्रगुप्त – प्रभु नेक्स्ट आत्मा है। वी आई पी पगला। नाम है इन जनाब का।

यमराज जी – हाँ तो VIP कैसे मरे रे बाबा।

VIP पगला – प्रभु मुझे मारने वाले जीव का नाम है – HIV इसलिए क्योंकि मैं हूँ VIP .

यमराज जी – जा अगले जन्म में बनेगा पी आई जी।

VIP पगला – ये क्या होता है प्रभु।

यमराज जी – अरे इसका फुल फॉर्म नहीं होता, PIG का मीनिंग होता है। वैसे तु शक्ल से लगता है VIP . ऐसी घटिया शक्ल VIP लोगों की ही होती है। अब देख मत साइड में खड़ा हो जा VIP लोग वेट करते हुए मुझे बड़े अच्छे लगते हैं।

(उसी पल एक देव दूत व नरक दूत का आना होता है।)

देव दूत व नरक दूत – “महाराज यमराज को हमारा प्रणाम”

यमराज – प्रणाम महानुभावों ! कहो किस उद्देश्य पूर्वक आप यहाँ पधारें हैं।

देव दूत – महाराज स्वर्ग अधितपति देवराज इंद्र ने ये सन्देश भेजा है कि भारत से आने वाली किसी आत्मा को स्वर्ग ना भेजा जाये। उनके रिजर्वेशन का कोटा हॉउसफुल हो गया है।

यमराज – ये कैसे हो सकता है ?

फनी किस्सा

देव दूत – ऐसा ही हुआ है प्रभु ! दरअसल जिस तरह से लापरवाही पूर्वक इस देश के निवासी धड़ल्ले से अपनी इंटरनेट सेवा का उपयोग कर रहे हैं। उसके रेडिएशन के द्वारा कहीं निर्दोष पक्षी मारे गए। और जो स्वाभाविक रूप से अपने अच्छे कर्मों के कारण स्वर्ग आ रहे हैं। ये लोग इतने नादान है प्रभु बेवजह ही अपनी इंटरनेट डाटा ऑन रखते हैं।

तथा पर्यावरण के प्रति भी बहुत लापरवाही इन्होने दिखाई है। सरकार के द्वारा प्रयास करने के बावजूद इन्होने पॉलीथिन बंद पर सरकार का समर्थन करना तो दूर उसके उपयोग में थोड़ा भी कमी नहीं की। महाराज इंद्र देव ने यह निर्णय लिया है। कि भारत से केवल निर्दोष जीव जंतुओं और पक्षियों को स्वर्ग मिलेगा। वहां के लापरवाह मानव में जब तक सुधार नहीं होता। तब तक स्वर्ग में भारत के लोगों की परछाई भी ना पड़े।

यमराज – वाकई यह तो भारतवासियों के लिए बहुत ही बुरी खबर है। बेचारे ……. तुम क्या खबर लाये हो नरक दूत।

नरकदूत – प्रभु नरक के महाराज शैतान का कहना है। कि भारतवासीयो के लिए नरक में भी कोई स्थान नहीं है।

यमराज – ये क्या ?

नर्क दूत – हाँ महाराज ! दरअसल बात यह है। कि भारत की सेना के जवान आये दिन इतने आतंकवादी मार रहे हैं। कि नरक उनसे ही फुल हो रहा है। अभी तो सूना है। कि आतंकी आत्माओं का एक बहुत बड़ा जत्था नरक आ रहा है। और सबसे बड़ी समस्या तो यह है। हर आतंकवादी की आत्मा 72 हूरें मांग रही है। अब इनके लिए नर्क में 72 हूरें कहाँ से लाएं।

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यमराज – तो फिर क्या करते हो।

हम नरक की पिशाचियों, चुड़ैलों को ही मेकअप कर करके उनकी इच्छाओं की पूर्ती की कर रहे हैं। अतः नरक का माहौल बीच बीच में प्रेममय बन जाता है। लेकिन मेकअप हटते ही आंतकी धोखा धोखा बोलते हुए चिल्ला उठता है। इसलिए उसके मुंह में खोलता हुआ तेल डालकर, जलती हुयी सलाखें डालते है। और फिर गरम तारों से मुंह को बांधकर भट्टी के ऊपर चढ़े गरम तव्वे पर उसे बैठा देते हैं। लगभग सभी आतंकियों के साथ ऐसा ही हो रहा है। और धीरे धीरे अब उनके मुंह से 72 हूरें निकलना बंद हो गया है।

यमराज – अति उत्तम ! लेकिन अब भारतवासियों का क्या करें। ना ये स्वर्ग के हैं। ना ही ये नरक हैं। यमराज का बुलावा आने के बाद किसी को तो कहीं ना कही जाना ही पड़ता है।

(तब ही वैकुण्ठधाम से एक देवी प्रकट होती है।)

देवी – प्रणाम महाराज !

यमराज – प्रणाम देवी ! कहो क्या सन्देश है।

देवी – महाराज ! प्रभु त्रिलोकीनाथ की यह इच्छा है। कि उनके प्रिय देश भारत से किसी को स्वर्ग या नरक में ना भेजा जाए। अपितु वहीँ भारत में भटकने के लिए छोड़ दिया जाए।

यमराज – ऐसा क्यों देवी !

देवी – महाराज ! भारत के लोग अपने आप में कोई सुधार करना ही नहीं चाहते। आपको तो मालूम ही है। भारत शीघ्र ही पृथ्वी लोक का सबसे बड़ा आबादी वाला देश बनने वाला है। वहां के लोग धर्म के नाम पर, संतान को ईश्वर की इच्छा का बहाना बनाकर निरंतर जनसंख्या बढ़ा रहे हैं। कुछ लोग तो वंश बढ़ाने के नाम पर भी जनसँख्या बढ़ा रहे हैं।

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जब कि उनको ज्ञात है कि जब स्वयं नारायण ने जब कृष्ण अवतार लिया था। तो उनका वंश नहीं बचेगा। ऐसा उनको गांधारी द्वारा श्राप मिला था। चाहते तो वो इस श्राप से मुक्त हो सकते थे या श्राप ना मिलने का कोई मार्ग खोज सकते थे। किन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि वह जानते थे। यह वंश बढ़ाना बेकार की बात है। सबका पिता केवल और केवल ईश्वर है। और सब उसके ही वंशज है। जो एक वक्त बाद काल ग्रास हो जायेंगे। फिर भी क्यों पता नहीं ये किसका वंश बढ़ा रहे हैं।

और साथ ही कुछ लोग संतान को उपरवाले की देन बताते हैं। ये तो बिलकुल निराधार है। सीधी सी बात आप यदि कोई कार्य करते हो तो उसका फल आपको मिलता है। यह ईश्वर का नियम है। तो फिर अपनी संतानों को रब, खुदा या ईश्वर के देन कैसे बता सकते हैं। ये तो कर्मों का फल है। जैसा आपका कर्म वैसा आपका फल।

इतना ही नहीं , (देवी ने आगे बोलते हुए जारी रखते हुए कहा ) खूब चिल्ला के कहते हैं। नारी को सम्मान मिलना चाहिए। नारी पूजनीय है। किन्तु इनके नजरिये में एक बच्चे पैदा करने वाली मशीन से ज्यादा कुछ समझा है। बेकार के झूठे मुठे अभियान चलाते है। और जाहिल एक जनसँख्या नियंत्रण कानून नहीं ला सकते। क्या एक स्त्री का जीवन सिर्फ बच्चों के पालन पोषण तक ही सिमित है। अतः त्रिलोकीनाथ ने निर्णय लिया है। कि जब तक भारत के लोग जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं लाएंगे। तब तक उनके लिए स्वर्ग व नरक दोनों के द्वार बंद हो चुके हैं।

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यमराज – प्रभु त्रिलोकीनाथ का यह कदम स्वागत योग्य है। अति उत्तम, जैसी करनी वैसी भरनी। चित्रगुप्त ! इन छिलका, रुपाली, रेज़र, मनचला और VIP पांचों को धरती पर भटकने के लिए छोड़ दो। वैसे भी इनको पता नहीं कि ये मरे हैं या जिन्दा हैं। तो मुझे भी पता नहीं यमराज ने इनको बुलावा है या नहीं। निकालो धक्के मारके।

(इसी के साथ कहानी का अंत होता है। आपको यह कहानी कैसी लगी पाठकों। संभव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। )

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कहनियाँ मन को लुभाती है। और यदि कहानी साथ में हंसाये तो फिर बात ही क्या है यमराज का बुलावा कुछ ऐसे ही कहानी है जो अपने आप एक प्रकार हास्य व्यंग्य भी रखती है। आप को यह कहानी काफी पसंद आई भी होगी। मजेदार हिंदी कहानी | Majedar Hindi Kahani

हमारा संसार वैसे कहीं साड़ी ढेरों कहानियों से भरा पड़ा है। कदम कदम ढेरो कहानियां है। कहीं मर्डर की, तो कहीं प्यार की, कहीं पाप की, कहीं अभिमान की, कहीं दौलत की, कहीं शोहरत की, कहीं भूत प्रेतों की ऐसा कोई विषय नहीं जिस पर कोई कहानी ही ना हो।

हमारा यह खूबसरत संसार इन कहानियों की वजह से ही है। आप ने मूवी सीरियल आदि देखें होंगे क्या बिना किसी कहानी के यह सब संभव हैं बिलकुल नहीं। यह नहीं आपका जीवन भी कहीं ना कहीं किसी ना किसी प्रकार की कोई ना कोई कहानी गढ़ ही रहा है। मजेदार हिंदी कहानी | Majedar Hindi Kahani

आपको यह कहानी कैसी लगे। हमें आप कमेंट के माध्यम से अवशय बताएं। और आप को बता दें इस कहानी कोई उपयोग नहीं कर सकता क्योंकि इसके सभी राइट्स कवी लोकेश इंदौरा के पास हैं। यह उनके द्वारा रचित कहानी है। और यह उनका ही ब्लॉग है। मजेदार हिंदी कहानी | Majedar Hindi Kahani

किसी भी विषय पर कहानी लिखना और कहानी सुनना अपने आप में एक कला है। यह दिखने में आसान है पर वास्तव में उतना आसान नहीं। इस समझना भी दरसल सब के बस की बात नहीं। इसे लोग एक मजाक के रूप में लेते हैं।

आप का कहानी से प्यार होना जरूरी है। आपका ही नहीं दरअसल हर इंसान का क्योंकि कहनियाँ हमें बहुत कुछ सिखाती है। ढेरों ज्ञान की बाते ये हमें बता देती है। मजेदार हिंदी कहानी | Majedar Hindi Kahani

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