असली जंगल के नकली नेता, नेता : सीधी ना होने वाली दुम, शहर को लगी नेताजी की नजर, आओ नेता को पकड़े, ले नेता दल बदल, मेरे नेता आबाद रहे जैसी लाजवाब नेताओं पर कविता : Super 6 Netao Par Kavita पढ़े और शेयर करें –
नेताओं पर कविता
असली जंगल के नकली नेता
राजनीति का जंगल असली
मिले नेता इसमें एकदम नकली
वोट देकर फिर इसको प्यारों
चुसवा लीजिए हड्डी पसली
योजनाओं में सेंध लगाके
यह खुद का करे विकास
कहे खुद को जन सेवक
किन्तु जन को समझे दास
बहुत बड़ा यह झुमले बाज
ना सुने किसीकी, ना करे है काज
समझे यह खुद को महाराज
सो जन जन रहे सदा नाराज
आखिर नेता है एकदम नकली
जंगल राजनीति का है असली
—— Lokesh Indoura
नेता : सीधी ना होने वाली दुम
नेता अपना चतुर चालक
सीधी ना होने वाली दुम
मीठे मीठे वादे करके
हुए 5 साल को गुम
अब ढूंढ रहे लालटेन लेके
जो वादा किया पूरा कीजिए
मिले तो प्रेम से पास बिठाया
बोले ठंडे होके चाय पीजिये
बोलके पकड़ाया चाय का डिस्पोजल
दुखड़ा सुन बोले पूरा करेंगे कल
फेंका डिस्पोजल गए ख़ुशी से झूम
पलट के देखा नेता गुम
—– Lokesh Indoura
कविता – शहर को लगी नेताजी की नजर
नेताजी की नजर में जब आया शहर
लग गई शहर को नेताजी की नजर
वाहन दौड़ रहे फुटपाथ
सड़कों पर पशुओं की जात
हॉस्पिटल दिखता कबाड़
सुन्दर बगीचे हुए उजाड़
ऐतिहासिक इमारतें खाये धूल
शहर पहचान गया भूल
जगह जगह लगा कूड़े का अम्बार
नेता चुनने का देखिए चमत्कार
निमार्ण से ज्यादा बर्बादी का मंजर
लगता विकास हो गया है पंक्चर
यह है प्रिय नेताजी का शहर
शहर को लगी है नेताजी की नजर
—– Lokesh Indoura
हमारे देश के नेताओं का रवैया काफी बुरा है। ऐसा लगता है वे राजनीति में आते ही केवल अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए है। उनका देश और समाज के विकास से दूर दूर तक कोई नाता नहीं होता है। उपरोक्त 3 नेता पर कविता इसी बात को बयां करती है। Read – Republic Day Shayari
Netao Par Kavita
आओ नेता को पकड़े
नेता अपने सच्चे अच्छे
लगते जब ये माइक पकड़े
पकड़े जाते कभी ये धमकाते
तो कभी बार बालाएं नचाते
नचाते जन जन को समझ के दास
स्वार्थ की इनकी जबरदस्त प्यास
पकडे कभी शादी में तमंचा
तो कहीं रॉब झाड़े इनका चमचा
प्यास ऐसी गंभीर पीये जन का खून
बन जाते शहर में अमावस का मून
मून से लौटे जनता विकास को जकड़े
पलभर में गायब आओ फिर से पकड़े
—– Lokesh Indoura
कविता – ले नेता दल बदल
ये नेता बड़ा दीवाना है
दल बदलना पेशा पुराना है
विपक्षी दल में जाके
तोड़े प्रेम के धागे
ये शम्मा है परवाना है
दीवाना है …..
सबके नैन रो रहे बेचारे
साथी कहे तु ना जा रे
चुनावी टिकट पाके
विरोधी सुर सुनाये
ओह नेता ! परदेसी मत बन जा रे
मत बन जा रे ……
मन टूट-टूट हो जाये ना
सरकार फिर से ना आये ना
हो रहा अकेला, अपने दल का कबीला
नेता उधर मत जाओ ना
मत जाओ ना ………
नेता के दिल में छिपी है चाल कोई
समझे दर्द ना जाने, ना हाल कोई
कैसे कुर्सी को संभाले
दिल से टिकट को निकाले
दल में बचा नहीं अब जोर कोई
अब जोर कोई…….
(नेता का जवाब) —
तू मेरे लिए थी, मैं तेरे लिए था
यह सच था, अब हुआ पुराना है
पुराना है……
नेता नहीं दीवाना है, नहीं कोई यहाँ बहाना है
बस था मेहमान, मत हो परेशान
होता सब जगह आना जाना है
आना जाना है ….
—— Lokesh Indoura
देश के नेता बड़े ही विरले प्रवृति के होते हैं इनकी दूकान स्वार्थ के आधार पर ही चलती है। ये कब पार्टी छोड़ दें। कब पार्टी को धोखा दे दें। सब इनका यही जानते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य होता है अपना स्वार्थ सिद्ध करना। और ये इस स्वार्थ के लिए किसी भी प्रकार की उठापटक को तैयार रहते हैं। पढ़े – राजनीति पर मजेदार हास्य व्यंग्य
नेता पर कविता | Neta Par Kavita
कविता – मेरे नेता आबाद रहे
ऐ मेरे नेता नेता
आबाद रहे तु
देश कितना भी बढ़ना चाहे
बर्बाद करे तु
ऐ मेरे नेता नेता
आबाद रहे तु
देश कितना भी बढ़ना चाहे
बर्बाद करे तु
तु ही देश की आपदा
मुश्किलें तुझ ही से
देश गिरे जहाँ भी
बुनियाद रखे तु
ऐ नेता मेरे नेता
तु गम का अँधेरा है
अँधेरा लाये तु
लूट खसोट रिश्वत की
पहचान हे रे तु
ऐ नेता नेता मेरे
आबाद रहे तु
देश कितना भी बढ़ना चाहे
बर्बाद करे तु
तुझ पे आती बद्दुआ
बनके तमन्ना मेरी
ज़िन्दगी तिल तिल जलाये
तु देश की गहरी
ऐ नेता मेरे नेता
ऐ नेता नेता
मेरे आबाद रहे तु ………
—– Lokesh Indoura
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नेता सदा देश में आबाद रहता है भले ही देश बर्बाद होता रहे भले ही गाँव शहर में पलायन होता रहे। चाहे उसका कारण बेरोजगारी हो या फिर सांप्रदायिकवाद। नेता इस सबसे बेफिक्र रहता है। उसका काम होता है केवल आश्वासन देना। देश की तरक्की में वह विकासवादी ना होकर देश के लिए बर्बादी कारक बन बैठता है। पढ़े – मजेदार हिंदी कहानी यमराज का बुलावा
नेता को हम शहर के विकास के लिए चुनते है गांवों के विकास के लिए इनको हम अपना प्रतिनिधि बनाते हैं किन्तु समय पश्चात नेता शहर और गाँव के विकास से ज्यादा अपने घर का विकास देखता है यहाँ प्रस्तुत नेता पर कविता – शहर को लग गई नेताजी की नजर इस बात को बड़ी खूबसूरती से बयां करती है। पढ़े – बीजेपी पर कविता
नेता हमारे सबके सामने
जताते जनता विश्वास
फिर काम निकलने पश्चात
करते पीछे से विश्वासघात
Indian Leader Poetry in Hindi
नेता बड़े ही चतुर चालक होते हैं और ऐसे अड़ियल होते हैं बिलकुल कुत्ते की दुम के समान जो किसी प्रकार सीधी नहीं होती। Neta Par Kavita – सीधी ना होने वाली दुम। इसी विचार को अच्छे व्यक्त करती है कि कैसे हमारे नेता जब हमें मिलते है तो हमारी समस्याओं को सुनने के बजाय वहां से कन्नी काट लेते हैं। Read – Student Funny Shayari
राजनीती का यह जंगल बड़ा ही भयानक है। जो भोले भाले नेता होते हैं वो भी इस जंगल में आने के बाद बड़े ही खूंखार हो जाते हैं। सच में जंगल में आकर नेता जंगली ही हो जाते हैं। असली राजनितिक जंगल के वो नकली नेता होते हैं। नेता पर कविता – राजनीति असली जंगल में नकली नेता इसी को व्यंग्य करती है। Read – Friendship Shayari in Hindi
राजनीति के जंगल में
नेता बड़े भयंकर
हे पापी बड़े ही घोर
भक्त दिखाए शिव शंकर
यहाँ प्रस्तुत नेताओं पर कविता आपको यह भी बताती है कि नेताओं ने हमारी व्यवस्थाओं व्यवस्थाओं और सरकारी संस्थाओं को अपने हाथों की कठपुतली बना लिया है जिसका वे अपने चुनावी अजेंडे के हिसाब से समय के अनुसार प्रयोग करते रहते हैं। उनका यह आचरण देश के लोकतंत्र के प्रति वाकई काफी दुखद है। पढ़े – नई हिंदी पहेलियाँ
यहाँ प्रस्तुत Netao Par Kavita आपको यह भी बताती है कि नेता जैसे ही सीट पर विराजमान होते हैं वैसे वे अपने आप को सर्वेसर्वा समझ बैठते है और अपनी जिम्मेदारियां भूल बैठते हैं। जनता का काम करने के बजाय वे अपने परिवार का काम साधते हैं। देश निर्माण से ज्यादा खुद का भविष्य निर्माण करने में जुट जाते हैं। पढ़े – महंगाई पर शायरी
चुनाव जीतकर जैसे ही
कुर्सी पर विराजमान
नेता समझ बैठे जनता को
अपने मनोरंजन का सामान
नेताओं पर कविता | Netao Par Kavita
आप अपने निजी या सामाजिक कार्य के लिए नेता को उसके घर ऑफिस इत्यादि में ढूंढते हैं। लेकिन वहां वह मिलता नहीं है। यदि आपको वह नसीब से मिल भी गया तो बड़े ही शांत स्वभाव से वह आपका स्वागत करेगा। फिर वह आपको चाय पिलायेगा। और जैसे ही आप चाय पीकर चाय का कप रखेंगे तो आप को वह फिर उसके स्थान से गायब मिलेगा। नेताओं पर कविता | Netao Par Kavita Watch – India Vs Pakistan Funny Shayari
नेता हमारे देश के बड़े ही महान दीखते जरूर है किन्तु यह वास्तव में होते नहीं है। इस बात से हम अच्छे से रूबरू है। इनकी नियत शायद ही कभी उदारवादी रही होगी। इसका कारण है कि राजनिति एक ऐसा गट्ठर है जिसमें जो गिरता है वह वैसा ही हो जाता है।
आजकल के वक्त में नेता और नेताओ की नेतागिरी बड़ी खतरनाक हो गई है। जैसे ही नेता के हाथ में कुर्सी आती वह उसका मन माना प्रयोग करते हैं। इसका एक उदाहरण आपने राजस्थान के शिक्षा मंत्री डोटासरा का देखा होगा जिसने मंत्री बनने के बाद अपने बेटे के ससुराल के कई लोगों को आरएसएस बना दिया या किसी की कोई अन्य नौकरी लगवा दी। नेता पर कविता | Neta Par Kavita पढ़े – राजनीति पर जोक्स
नेता जिस तरह से सरकारी संस्थाओं में लूट खसोट करते हैं वह भी बड़ी ही भयानक है। कहीं सरकारी विभागों और महकमों को विशेष फायदा करवाने के बदले में ये उनसे मोटी रिश्वत लेते हैं। कुछ नेताओं की तो बड़े बड़े बिल्डर्स और ठेकेदारों से अच्छी खासी सांठ गांठ होती है।
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