ओशो के थॉट्स व जीवन परिचय : Osho Rajneesh Thoughts Biography in Hindi – ओशो एक ऐसा नाम जिसकों सुनते ही लगता है कैसा था यह विचित्र व्यक्ति जो धर्म गुरु होकर इतना विवादास्पद रहा। आखिर ओशो के ऐसे कौनसे विचार थे जो सभी धर्म गुरुओं से जुदा थे चलिए जानते हैं ओशो का का जीवन और उनके विचार।
ओशो के थॉट्स | Osho Rajneesh Thoughts in Hindi
ओशो एक ऐसा आध्यात्मिक गुरु जो बड़ा ही विवादास्पद रहा। इतना विवादास्पद की कहीं देशों की सरकारों को उसके विरुद्ध एक्शन लेना पड़ा। लेकिन फिर भी उसके अनुयायी कम ना हुए बल्कि लोकप्रिय होता चला गया। और उसकी मृत्यु के बाद वह और भी ज्यादा लोकप्रिय हो गया।
ओशो का बाल्यकाल का नाम चंद्र मोहन जैन था। जो उनके माता पिता ने उनका रखा था। चंद्र मोहन का जन्म 11 दिसंबर 1931 को कुचवाड़ा रायसेन, मध्य प्रदेश में हुआ। चंद्र मोहन अपने माता पिता की 11 संतानों में सबसे बड़े थे। गरीब परिवार में जन्म होने के कारण उनका पालन पोषण उनके नाना के घर जबलपुर में ही हुआ।
चंद्र मोहन बाल्यकाल से ही पढ़ने में बड़े तेज थे। बड़े होकर उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर शिक्षा पूर्ण की। और रायसेन कॉलेज में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर बन गए। चंद्र मोहन बड़े ही तर्कशील व विवेकी थे। वह धर्म और गांधीवादी विचारधाराओं पर अपने तर्क देने लगे।
समाजवाद, धर्म और महापुरुषों के विरोधी विचारों से उनकी एक पहचान बनने लगी। और कहीं सारे उनके स्टूडेंट्स उनके फैन बनते गए। किन्तु कॉलेज वहां के स्टाफ इसके विरोधी होते गए। उनके यह तर्क और धार्मिक विश्लेषण उनको पसंद नहीं आया। किसी प्रकार कॉलेज में कोई बवाल ना हो। इसलिए रायसेन से जबलपुर उनका तबादला कर दिया गया।
इसके बाद जबलपुर कॉलेज में अपने विचार व्यक्त किये। वह रूढ़िवादी धार्मिक सोच और कामुकता पर स्वतंत्र रूप से अपने विचार रखते। यहाँ जबलपुर में यह किसी को रास नहीं आया। कहीं धार्मिक लोग व प्रोफेसर इससे नाराज रहे।
चंद्र मोहन एक कुशल वक्ता और तर्कवादी थे। उन्होंने कुछ समय के लिए आजाद हिन्द फ़ौज और आरएसएस को भी ज्वाइन किया। किन्तु उनके विचारों से सब उनके विरोधी रहे। जितने उनके अनुयायी हुए उतने ही उनके विरोधी भी होते चले गए।
चंद्र मोहन जैन से ओशो बनने की यात्रा और विचार
उनके विचारों के चलते उनको जबलपुर कॉलेज से भी निकाल दिया गया। इसके बाद चंद्र मोहन ने भारत भ्रमण किया और स्थान स्थान पर अपने विचार और प्रवचन देने लगे। इसी क्रम के तहत 1970 में कुल्लू मनाली में उन्होंने नव सन्यासी क्रांति का उद्भव किया। और सन्यासी की ऐसी परिभाषा दी। जिसने सभी धर्म ठेकेदारों और रूढिवादों लोगों में एक तहलका मचा दिया।
उन्होंने कहा सन्यासी होने के लिए यह जरूरी नहीं है कि गृहस्थ जीवन का त्याग करे। बल्कि गृहस्थ जीवन ज्यादा सन्यासी जीवन है। अब सांसारिक सन्यासी बने। सांसारिक जीवन जीते हुए संन्यास लें। नाकि सांसारिक जीवन से नाता तोड़कर। आप ख़ुशी के साथ जीवन जीये। हर परिस्तिथि में खुश रहें यही सच्चा सन्यास है।
ओशो के थॉट्स | Osho Rajneesh Thoughts in Hindi
ओशो कहते हैं आप नाचिये गाइये और मस्त रहिये। उन्होंने नव सन्यासी की विचारधारा के तहत स्त्री को माँ व पुरुष को स्वामी का नाम दिया। उन्होंने गीत संगीत के साथ झूमते रहने और जीवन का आनंद लेने की परिभाषा को सन्यासी जीवन के रूप में अभिव्यक्ति दी।
इस दौरान उन्होंने खुद ही खुद को भगवान् रजनीश ओशो घोषित कर दिया। यहाँ ओशो का अर्थ है ओशनिक। लेटिन में जिसका अर्थ है समंदर में समा जाना। इसके बाद उन्होंने कहीं अलग अलग जगह अपने प्रवचन दिए। कहीं किताबें उनकी प्रकाशित हुई। जिससे कहीं लोग उनके मुरीद हुए तो कहीं उनके कट्टर विरोधी हुए।
1974 में पुणे में ओशो ने एक आश्रम की स्थापना की। जहाँ वे अपने शिष्यों के साथ रहने लगे। उनके भक्तों में विदेशी ज्यादा थे। विदेशी लोग उनके विचारधारा से काफी प्रभावित हुए। किन्तु भारतियों की तादाद भी निरंतर बढ़ती जा रही थी। भारत में सभी धर्मों के धर्म गुरु और रूढ़िवादी विचारक उनका विरोध कर रहे थे और यह विरोध भी निरंतर बढ़ता जा रहा था।
ओशो के विवादास्पद विचार व जीवन
ओशो अपने विचार के कारण बहुत ही विवादास्पद रहे। ओशो ने ऐसे कहीं विचार दिए। जिन्होंने लोगों को खूब प्रभावित किया। ओशो ने साफ़ कहा कि इंसान को किसी भी प्रकार से किसी विवाह की जरूरत नहीं है। इंसान को परिवार की जरूरत है ही नहीं। जबरन दो व्यक्तियों की शादी करवा दो और फिर उनपे थोपा जाए कि आप प्यार कीजिए आप सेक्स कीजिए। यह सरासर गलत है।
किसी भी व्यक्ति को अपने अनुसार जिससे चाहे उससे सेक्स करने की आज़ादी होनी चाहिए। सेक्स सांसारिक सुख नहीं है सेक्स मोक्ष का द्वार है। सेक्स से जीवन की उत्पति हुई है। यह सृजन करता है। सेक्स से पवित्र कार्य कोई दूसरा हो ही नहीं सकता है।
ओशो के थॉट्स | Osho Rajneesh Thoughts in Hindi
इसीलिए ओशो ने पति पत्नी के लिए भी कहा है। कि एक हस्बैंड उसकी वाइफ के पास ऐसे ही जाए जैसे मानो वह किसी टेम्पल में जा रहा हो। यही नहीं वाइफ को भी चाहिए। कि वह अपने हस्बैंड को सेक्स के दौरान परमात्मा के रूप में ही लें। क्योंकि सेक्स के दौरान जो मिलन है। यह किसी भी प्रकार से परमात्मा के मिलन से कम नहीं है। क्योंकि यह सेक्स सृष्टि सृजक है।
ओशो के इसी प्रकार विचार बड़े ही विवादास्पद थे। ओशो ने कहा था कि आप सम्भोग से समाधी की अवस्था को प्राप्त कर सकते हैं। इसके ऊपर एक बुक भी है जिसका नाम भी है – ‘सम्भोग से समाधी तक’ इसमें ओशो ने बताया है कि सेक्स ब्रह्मचर्य का साधन है। सेक्स के माध्यम से ब्रह्मचर्य को जीवन में लाया जा सकता है। सेक्स जीवन में नहीं है और आपके मन में है तो आप ईश्वर के लिए समाधी प्राप्त नहीं कर सकते। सेक्स का जीवन में होना जरूरी है क्योंकि जब यह जीवन में होगा तो मन में वासना नहीं रहेगी।
ओशो का विदेश प्रस्थान और प्रतिबंध
एक बार जब ओशो की तबियत खराब हुई तो उनके शिष्यों के सुझाव पर ओशो पुणे से अमेरिका गए। और ओशो ने सफलता पूर्वक वहां अपना इलाज करवाया। ओशो के ठीक होने के बाद उनके विदेशी शिष्यों ने उनसे प्रार्थना की। कि वे कुछ दिन अमेरिका में ही गुजारे। शिष्यों के आग्रह पर ओशो अमेरिका ही रुक गए।
ओशो वहां भी अपने विचार देने लगे। धीरे धीरे वहां भी उनके भक्तों की तादाद बढ़ती गई। उनके भक्तों ने सेन्ट्रल ऑरेगोन जो की अमेरिका का एक रेगिस्तानी इलाका था वहां तक़रीबन 64 एक जमीन ली। और उनका आश्रम बना दिया।
इस आश्रम को उनके भक्तों ने रजनीशपुरम नाम दिया। शुरुआत में ही तक़रीबन वहां उनके 1000 भक्त आकर रहने लगे। और फिर थोड़े ही दिनों में उनकी संख्या 20000 से ऊपर हो गई। वहां फिर उनके लिए मकान वगैरह बनने लगे। रजनीश ने अपने भक्तों से कहा कि खूब खाओ पीओ नाचो गाओ और मस्त रहो। अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से जिओ। इसलिए कहीं इनके कही महिला पुरुष भक्त बिना कपड़ों के भी रहते।
ओशो के विवादास्पद विचार | Osho Biography in Hindi
धीरे धीरे रजनीशपुरम में हवाईपोर्ट भी बन गया। यही नहीं रजनीश ओशो के नाम से पर्सनल हवाई सेवा भी शुरू हो गई। उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन थे। रजनीश की अमेरिका में बढ़ती लोकप्रियता से वहां की सरकार भी परेशान हो उठी। उनके भक्तो पर ड्रग्स के सेवन के भी आरोप लग रहे थे।
अमेरिका की सरकार ने एक आरोप यह लगाया। कि उन्होंने सामान्य आस पास के लोगों को जहर देने की कोशिश की है। वहां का कानून तोडा है। और रजनीश ओशो को कुछ शिष्यों सहित जेल में डाल दिया। इसके बाद कुछ आर्थिक जुर्माने व कभी अमेरिका ना आने की शर्त पर उनको जेल से छोड़ा गया।
इसके बाद ओशो ग्रीस, स्विटज़रलैंड, स्वीडेन, रूस, उरुग्वे जैसे 21 देशों में गए। किन्तु अमेरिका के दबाव में आकर हर जगह उनको प्रतिबंधित कर दिया गया। ओशो को अन्य धर्मों के लिए खतरा बताया गया। Read – Osho Thoughts in America
गांधीवाद पर ओशो के विचार व विवाद
ओशो को गांधीवाद का विरोधी माना जाता है। वह भी उनके विचार जब आये। जब भारत में कांग्रेस का ही राज था। गांधीवाद से सारा समाज ओतप्रोत था। इस प्रकार जब गांधीवाद के विपरीत रजनीश ओशो ने अपने विचार व्यक्त किये। तो गांधीवादियों के तशरीफ़ के नीचे सच में भूकंप आ गया।
ओशो ने कहा कि गांधी अहिंसावादी नहीं गाँधी हिंसावादी थे। क्योंकि उन्होंने अहिंसा मत करो यह कहकर खुद पर हिंसा का अवसर दिया। इसलिए गाँधी हिंसक थे। ओशो ने कहा कि जब यदि आप कहते हो कि कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे। तो दूसरा भी आगे कर दो। तो सीधी सी बात है कि आप हिंसा को बढ़ा रहे हैं। आप सीधा सीधा हिंसा को निमंत्रण दे रहे हैं।
गांधीवाद पर ओशो के विचार | Osho Rajneesh Thoughts in Hindi
सच में मुखरतौर पर यदि किसी ने गाँधी का विरोध किया तो वह रजनीश ओशो थे। रजनीश ओशो ने गाँधी की विचारधारा को अपनाना हिंसा को अपना बताया। उन्होंने कहीं सारे ऐसे तर्क देकर गांधीवाद को ललकारा। और सबसे बड़ी बात यह है। जिस प्रकार के वे तर्कवादी दी। उनकी काट भी कोई ढूंढ नहीं पाता था। क्योंकि उनके तर्क इतने तर्क संगत थे। कि किसी के पास उसका कोई जवाब ही नहीं होता था।
ओशो ने यह भी कहा कि आप दरिद्र को नारायण मत कहो। आप दरिद्र को नारायण कहकर उसका मजाक बना रहे हो। नारायण तो सभी हैं। उन्होंने कहाँ और नारायण को पाना है तो पहले खूब धन कमाओ और फिर तुम साधना की ओर जाओ। फिर ईश्वर को पाने का प्रयास करो।
Rajneesh Osho Biography in Hindi | रजनीश ओशो के विचार
इस प्रकार रजनीश ओशो को यदि हम देखें तो वह एक ऐसे धर्म गुरु है जो किसी धर्म को नहीं मानते हैं किन्तु फिर भी धर्मगुरु है। जो कहते हैं बस आनंद लो। धर्म एक बंधन है। किसी धर्म की कोई जरूरत नहीं है।
ओशो कहते हैं कि इस संसार में किसी प्रकार की कोई सरहद की भी जरूरत नहीं है। सारे संसार में की एक ही सत्ता होनी चाहिए। और जब सारा संसार एक ही परिवार है तो बम गोले बारूद किसी की जरूरत ही नहीं है। सब एक हैं यह ध्यान रहे। गांधीवाद पर ओशो के विचार | ओशो के विवादास्पद विचार जानिए – रतन टाटा थॉट्स व लाइफ स्टोरी
ओशो ने कहा ईश्वर कहीं नहीं है ईश्वर आप स्वयं ही हो। बस आप ईश्वर की तरह जीना शुरू कर दीजिये। इस दुनिया को दुनिया के रूप में देखिये। इस दुनियां में जीए जरूर पर इस दुनिया का हिस्सा आप मत बनिये। तब ही आपको जीवन का आनंद आ पायेगा। यदि आप दुनिया का हिस्सा बन जायेगे। इस दुनिया को अपने अंदर रखेंगे तो आप परेशां रहेंगे। गांधीवाद पर ओशो के विचार | ओशो के विवादास्पद विचार जानिए – कौनसा बिज़नेस करें।
ओशो का जीवन परिचय | Osho Biography in Hindi
रजनीश ओशो कहते हैं कि हमारा काम सिर्फ और सिर्फ आनंद लेना है। हर परिस्तिथि में आनंद लीजिये। क्योंकि यहाँ पे एक प्रकार से कोई आपका अपना नहीं है और यूँ कहे सभी आपके अपने हैं। पढ़े और शेयर करें – बेटी के जन्म पर बधाई सन्देश
Death – रजनीश ओशो का जीवन परिचय | Rajneesh Osho Life Story in Hindi
रजनीश ओशो का जीवन ही नहीं बल्कि उनकी मृत्यु भी विवादास्पद रही। आज भी पता नहीं चला है कि उनकी मृत्यु एक सामान्य मृत्यु थी यह एक प्रकार की साजिश पूर्ण हत्या थी।
19 जनवरी 1990 को ओशो की अचानक तबियत ख़राब हो जाती है। और उनकी मृत्यु हो जाती है। और फिर नाच गान व उत्सव के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। ओशो के थॉट्स | Osho Rajneesh Thoughts in Hindi पढ़े – जीवन बीमा कविता
किन्तु यहाँ पर एक झोल निकलता है। डॉ गोकुल कोकणी बताते है। कि 19 जनवरी को दोपहर में उनके पास फ़ोन आता है और कहा जाता है कि वे तुरंत आश्रम में आये। उनके आश्रम में जाने पर उनको यह कहा जाता है कि भगवान् रजनीश ओशो देह त्याग कर रहे हैं। किन्तु उस समय उनको बुलाया तो जाता है किन्तु उनके पास जाने नहीं दिया जाता है। Read – Life Insurance Shayari in Hindi
3 घंटे बाद डॉ गोकुल ओशो के रूम में जाते हैं। वहां उनका कहना था कि जब उन्होंने देखा तो ओशो के मुंह पर वोमिट के निशान थे। और साथ ही कुछ खाने के निशान भी। उनसे कहा जाता है ओशो का देह त्याग हो चुका है आप हार्ट अटैक के इस डेथ सर्टिफिकेट पर सिग्नेचर का दीजिए। ओशो के थॉट्स | Osho Rajneesh Thoughts in Hindi जानिए – पॉलीग्राफ टेस्ट क्या है
डॉ गोकुल के अनुसार ओशो कभी इस तरह नहीं रहे वह बहुत साफ़ रहते थे। उनके शरीर भी भोजन का अंश लगा हो यह हो नहीं सकता है। दूसरी बात यह है कि आश्रम में भी कहीं डॉ थे किन्तु उनको नहीं बुलाया जाता है। एक घंटे का सफर तय करके डॉ गोकुल को बुलाया जाता है। इसके अलावा देह त्याग के दौरान उनसे किसी को मिलने भी नहीं दिया जाता है। जानिए – नार्को टेस्ट किसे कहते हैं
ओशो की माँ भी आश्रम में ही रहती थी। उनको भी ओशो से मिलने नहीं दिया जाता है। ओशो की माँ का जवाब था कि उन्होंने मेरे बेटे को मार दिया। यही नहीं आश्रम में किसी की भी मृत्यु के अब नाच गान की परम्परा थी। किन्तु आनन् फानन में ओशो का अंतिम संस्कार कर दिया गया। यही नहीं बॉडी का पोस्टमार्टम भी नहीं करवाया गया। ओशो के थॉट्स | Osho Rajneesh Thoughts in Hindi जानिए – फुटबॉल खेलने के नियम
उनकी मृत्यु स्थान पर आज भी लिखा हुआ है – ‘ न जन्में – न मरे’ – सिर्फ 11 दिसंबर 1931 और 19 जनवरी 1990 बीच इस पृथिवी का भ्रमण किया। ओशो के थॉट्स | Osho Rajneesh Thoughts in Hindi पढ़िए – सुभाष चंद्र बोस की जीवनी
ओशो की सैकड़ों किताबें प्रकाशित हुई। सैकड़ों प्रवचन उन्होंने दिए। उनके कैसेटस और बुक्स की रॉयल्टी आज भी सालाना 100 करोड़ से ऊपर है। उनके आप देश विदेश में काफी बड़ी मात्रा में सम्पति है। जिसको लेकर विवाद है। पढ़िए – स्वामी विवेकानंद लाइफ स्टोरी
Rajneesh Osho Biography in Hindi | रजनीश ओशो के विचार
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ओशो पर FAQ
Q – ओशो का जन्म कब हुआ ?
उत्तर – ओशो का जन्म 11 दिसंबर 1931 को मध्य प्रदेश के रायसेन नगर में हुआ।
Q. ओशो विवादित धर्म गुरु क्यों रहे ?
Ans – ओशो के विवादित होने का कारण गांधीवाद का विरोध और सेक्स पर उनके उन्मुक्त विचार थे। विशेष रूप से उनका दर्शन सम्भोग से समाधी तक।
Q. रजनीश ओशो की मृत्य कब हुई ?
Ans – रजनीश ओशो की मृत्यु 19 जनवरी 1990 को उनके आश्रम पुणे में हुई। जो कि विवादास्पद रही।
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