जल पर निबंध (हास्य व्यंग्य) : Saving Water Essay in Hindi | Jal Par Nibandh – प्रस्तुत निबंध हास्य विनोद से भरपूर व्यंगात्मक शैली है। जो कि निश्चित रूप से जल संरक्षण पर एक प्रेरणादायी सन्देश है।
जल पर निबंध
“एक बूँद पानी की कीमत तुम क्या जानो नादान मानव”
सच हमारी नजर में अब तक पानी की कीमत किसी ने जानी तो वह था प्यासा कौआ। दूसरी कक्षा से हमारे मन में उसका चित्र वैसे ही कैद हो गया जैसे उछलती हुई खूबसूरत नदियां, छम छम करते झरने, शोर करती समुद्र की लहरें आपके मन में हो जाती है।
पानी की कीमत कौवे के अतिरिक्त उस सूखे कुंवे ने भी जानी जिसकी पनघट पर कभी स्त्रियों का जमघट लगता था। और उनकी हंसती ठिठोली के साथ उनके घर, प्रेमी, घरवाले सभी के राज अपने पानी में डाल लेता। इससे उसके पानी का स्वाद भी काफी बढ़ जाता। ऐसे मटके में भर भर के ये हंसी ठिठोली व गाँव के रहस्य घर घर में पहुँचते और इस खातिर पूरे गाँव वाले उसकी स्वच्छता का ध्यान रखते।
पानी की कीमत उस सूखे ताल ने जानी जिस में कभी जानवर व बच्चे गोते लगाते। इस तरह खुद भी नहाते और तालाब को भी नहलाते। आते तो बच्चे आज भी हैं किन्तु कचरा डाल के निकल लेते हैं।
पानी की कीमत उस सूखी नदी ने पहचानी जिसके सूखने की वजह से आज उससे निकलने वाली नहरें मुंह फुलाये बैठी है। हां अब सतह पर पड़े पत्थर एक दूसरे का चेहरा साफ़ देख पाने से पार्टी जरूर मनाते हैं वह भी बिना पानी के।
भैय्याजी ये प्रकृति भली भांति पानी की कीमत जानती है। नहीं जानते तो आप और हम। हम 20 रुपये की नल की टोंटी के खातिर 20 हजार रुपये का पानी बहा देते हैं। बस फर्क इतना था वह 20 रूपये हमारी जेब से लगते और 20 हजार रूपये का पानी हम अपना नहीं सरकार का समझते हैं।
Saving Water Essay in Hindi
हम जानते हैं केवल 1% पानी इस धरती पर पीने लायक है। इंद्रदेव हर वर्ष धरती के विविध स्थानों पर वहां के भौगोलिक हिसाब से अपनी पानी की लॉटरी खोलता है। और हम हैं कि फटी जेबें लेकर खड़े हो जाते हैं।
कहाँ तक और कब तक यह 1% पानी सब का गला तर कर पायेगा। कब तक तालाब में भैंसे आराम फ़रमायेगी। कब तक बच्चे नदी में कूदेंगे। और कब तक ईर्ष्यालु, झगड़ालू , कामुक जैसी नाना प्रकार की युवतियां बाथटब में जलपरी बनकर झाग से खेलेगी।
निरंतर आबादी बढ़ रही है। पानी की डिमांड उससे दुगुनी रफ़्तार पर है। हमने नलकूप लगा लगा के धरती माँ को छलनी कर दिया है। धरती में जगह जगह डार्क जॉन बन गए हैं। धरती माँ का यह अमृत निचोड़ने में धरती माँ के लाल कोई कसर नहीं रख रहे हैं।
सालों से उसकी साँसे फूल रही है। उसमें हल चल तो होती है किन्तु भूकंप नाम देकर उसे अनदेखा कर रहे हैं। धरती माँ कराह रही है। लेकिन हम कूलर की आवाज में ठंडी फुहारे लेने में व्यस्त है। ना हमें ये उझड़ते वन दिखाई देते हैं, ना धरती से निकलता फ्लोराइड पानी, ना सूखते खेत खलिहान, ना ही बंजर बनती जमीन, ना ही ये सूखी, बावड़ियां, कुंवे और अस्थमा से ग्रसित नलकूप।
हमें नदियां, झरने, समुद्र, प्राकृतिक झीलें धरती माँ ने उपहार में दी। हमारे पूर्वजों ने कुंवे, बावड़ियां, कुंड, तालाब बनाकर इस धरती को सुंदर बनाते हुए एक एक बूँद अमृत की कदर की। और आज हमने बदले में प्लास्टिक, कचरा दिया या फिर पानी की फिजूलखर्ची की।
ध्यान रहे फिजूलखर्ची और जल संरक्षण ना करने की गलती ही भविष्य में बहुत बड़ी त्रासदी बनेगी। जिसके जिम्मेदार होंगे। सो ध्यान रहे हमारे प्रयास केवल जल संरक्षण के नारे लगाने या किसी कविता अथवा लेख को फॉरवर्ड करने तक ही ना रहे।
Jal Par Nibandh | पानी पर निबंध
हम जल और भूमि संरक्षण के नाम पर केवल नारे लगाते हैं। हम से कोई यदि जल संरक्षण की बात करे तो हम यह सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी समझते हैं। या फिर दूसरों की पानी पर फिजूलखर्ची को लेकर अपना दामन साफ़ करना चाहते हैं। और यही कारण है कि पानी संरक्षण को लेकर हम किसी प्रकार से चिंतित नहीं है। Read – Best 12 Save Water Slogans in Hindi
दोस्तों वैसे तो हमारी यह पृथिवी नीला गृह है। और नीला गृह यह जल की अत्यधिक उपलब्धता के कारण ही है। क्योंकि इस धरती पर 70% पानी व 30% भूमि है। किन्तु केवल तीन प्रतिशत पानी ही उस 70% का पीने लायक है। उसमें भी 2% तो बड़े बड़े हिमखंडों के रूप में उतरी दक्षिणी धुर्वों पर या हिमालय जैसे ऊँचे ऊँचे पहाड़ों पर जमा है। Read – Best Water Poem in Hindi
केवल 1% पानी ही जलचक्र के रूप में चलता है। जिसमें सभी पेड़ पौधे, जानवर व मनुष्य अपना जीवन यापन करते हैं। अब आप सोचिये इस 1% जल को भी हम संजोकर ना रखेंगे तो भविष्य में क्या होगा ? Read – 4 Funny Hindi Poems of Corona Period
भारत मलहार का देश कहलाता है। राष्ट्र गीत में इसके लिए सुजलाम सुफलाम का प्रयोग हुआ है। चेरापूंजी व मासिनराम जैसे बारिश वाले स्थान यहाँ पर है जहाँ विश्व की सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की जाती है। किन्तु फिर भी भारत पानी की समस्या से झूझ रहा है।
जल पर निबंध | Pani Par Nibandh
ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब फसलें सूख जाएगी। नदी तालाब सब खली मिलेंगे। पीने का पानी भी बाजार से पेट्रोल डीजल की भांति खरीदना पड़ेगा। पडोसी पानी के लिए एक दूसरे का खून बहाएंगे। और खेती नाम की कोई चीज तो रहेगी ही नहीं। Read – Lady Harassment Essay in Hindi
हर साल बारिश होती है और हम लाखों टन की मात्रा में पानी यूँ ही बहा देते हैं। यदि हम पानी का संरक्षण करें तो हम काफी कुछ बचा सकते हैं। हम निरंतर धरती से जल का दोहन कर रहे हैं। और इस कारण धरती में डार्क जॉन बन गए हैं। अब वहां नीचे पानी की कोई बूँद नहीं बची है।
हमने धरती की इस गुल्लक में बोर लगा लगा के इसे छलनी बना दिया है। अब पानी के साथ फ्लोराइड व आर्सेनिक जैसे नुकसानदायक तत्व आ रहे हैं जो मनुष्य को बीमार और बीमार बना रहे हैं। फ्लोराइड का साइंस के पास अभी तक कोई इलाज नहीं है। Read – Mehangai Par Shayari
हमारी यहाँ वैसे बड़ी सुन्दर और बड़ी नदियां बहती है जैसे गंगा, कृष्णा, कावेरी, यमुना, नर्मदा इत्यादि। किन्तु हमने सब को कूड़ेदान बना दिया है। कहीं जगह तो नदिया केवल एक गन्दा नाला बनकर रह गई है। यमुना में दिल्ली के बाद उसका खुद का ओरिजिनल पानी बचा ही नहीं। उसमें केवल अब दिल्ली आगरा जैसे शहरों के सीवरेज लाइन का पानी है। जल पर निबंध | Jal Par Nibandh | पानी पर निबंध | Saving Water Essay in Hindi
Jal Par Nibandh | पानी पर निबंध
लोगों ने जल स्त्रोतों के किनारे दुकान, मकान, होटल्स इत्यादि बना लिए हैं और जल स्रोतों का दायरा छोटा कर दिया है। जिसका परिणाम हमने केदारनाथ त्रासदी के रूप में देखा। हम खुद ही अपने लिए कांटे बोते हैं। जल पर निबंध | Jal Par Nibandh | पानी पर निबंध | Saving Water Essay in Hindi
हम नदियों अस्थियां, मेडिकल वेस्टेज, कचरा, सीवेरज का पानी आदि सब डाल कर उन्हें दूषित और दूषित बना रहे हैं। ये वही नदियां है जिन्हें हम माँ की तरह पूजते हैं। जहाँ विदेशों की नदियां बिलकुल साफ़ और स्वच्छ मिलती है वहीं नदियों को जीवनदायिनी और देवी मानने वाले देश में वह नदियां एक गंदे नाले का स्वरुप लिए हुए है। जल पर निबंध | Jal Par Nibandh | पानी पर निबंध | Saving Water Essay in Hindi
इंडस्ट्री का पानी साफ़ करके खेतों को दिया जा रहा है। किन्तु इस पानी में लेड, कैडमियम जैसे हैवी मेटल्स होते हैं। जो सब्जियों और अन्य वनस्पति तत्वों के साथ हमारे शरीर में पहुँच रहे हैं। और हमें कैंसर जैसे घातक बीमारियां दे रहे हैं। जल पर निबंध | Jal Par Nibandh | पानी पर निबंध | Saving Water Essay in Hindi
हमें पानी का मैनेजमेंट काफी अच्छे तरीके से करना होगा। बारिश के पानी का संचय भी सही तरीके से करना होगा साथ ही नदी बावड़ियों, तालाबों इत्यादि रख रखाव भी उचित तरीके से करना होगा। जल पर निबंध | Jal Par Nibandh | पानी पर निबंध | Saving Water Essay in Hindi
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Saving Water Essay in Hindi – तब ही संभवतया हम जल भी बचा पाएंगे और अपना कल भी।