गर्मी पर कविता | 5 Summer Season Poem | Kavita | Poetry Hindi

गर्मी पर कविता | Summer Season Poem | Kavita | Poetry Hindi – यहाँ ग्रीष्म ऋतु के मौसम के ऊपर 5 मजेदार कवितायें दी गई है।उन्हें पढ़े और शेयर करना बिल्कुल ना भूलें।

गर्मी पर कविता | Summer Season Poem in Hindi

1 . सूरज जी बरसाये आग

सूरज जी बरसाये आग, ए. सी. कूलर टांय टांय फिस्स।
उधर फिश को भी लगे गर्मी, चाहे बर्फ को करना किस्स।।

किस्स देता दिल को ठंडक पर बदन बना है शोला।
बच्चे बूढ़े नजर घुमाये कहाँ है बर्फ का गोला।।

कहाँ है बर्फ का गोला और आइसक्रीम ठंडी ठंडी।
ढूंढते ढूंढते पहुँच गई दुनिया अपनी सब्जीमंडी।।

सब्जीमंडी में सब्जियाँ सिर पर ताने छाता।
मासूम सी सब्जी पर भी सूरज को तरस ना आता।।

तरस नहीं आता दिखाये सूरज रूप अपना प्रचंड।
मेकअप वाले रूपवान चेहरों की हुई जिंदगी झंड।।

हुई जिंदगी झंड झंड, ठंडक ढूंढे चहुँओर।
हाय राम कितनी गर्मी, मीडिया भी मचाये शोर।।

मीडिया भी मचाये शोर डराये और साथ में।
बस चले तो डाल दे सूरज को हवालात में।।

हवालात में भी हालात खराब, नहीं राहत की खबर।
कैदी सो ना पा रहे, पहरेदार मारे मच्छर।।

मच्छर मक्खी की भी जिंदगी, सूरज देव छीन रहे।
आज मैंने कितने मारे, शाम को है गिन रहे।।

गिन रहे हम भी दिन, कब तक रहेगी गर्मी।
पेट भर गया खा खाके, याद आ रही सर्दी।।

——- Lokesh Indoura

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गर्मी पर कविता

Summer Season Poetry in Hindi | Garmi Par Kavita

2. सूरज भैय्या क्रोध में

सूरज भैय्या क्रोध में
कर रहे पसीना पसीना
कूलर ए. सी. में दिन बिताकर
हमको पड़ रहा जीना

आइस जैसा बदन
गरमा गर्म पैन बना
तन से निरंतर बहे नदिया
सूखा ना पा रही हवा

अतः जल रही स्कीन
लगा रहे सन क्रीम
पी रहे कोल्ड ड्रिंक
खा रहे आइस क्रीम

फिर भी गरमा गर्म जिंदगी
दे रहे सूरज भैय्या
माशूका के आशिक़ तक
घर में ही कर रहे ता ता थैय्या

सो प्लीज सूरज महोदय
करो हम पर रहम
सूरज आप भगवान हो
कहीं बन ना जाये वहम

गर्मी पर कविता | Summer Season Poem

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3. सूरज बाबू आइस खाओ

सूरज बाबू आइस खाओ
पहनो सन ग्लास
अंग अंग फूटा झरना
लगता आप खा रहे च्यवनप्राश

गर्मी तुम्हारी पाकर
हम तो बन गए हीटर
एक बार तो यूज लो
आप भी थर्मामीटर

बदलो जी अपनी चाल
बुरे हो रहे हमारे हाल
आप जो ऐसे बरस रहे
तो काली हो जाएगी खाल

साथ ही दया करो
गोरे रंग पर।
मेकअप कालापन ला रहा
सुंदरियों के अंग अंग पर

अतः सूरज जी कसम है
आपको मेकअप की
अब जरुरत आन पड़ी है
गर्मी के पैकअप की

——- Lokesh Indoura

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गर्मी पर कविता

Summer Season Par Kavita

4. सूरज को चढ़ा बुखार

गर्मी के इस मौसम में
सूरज को चढ़ा बुखार
आती जाती फिजायें
लू बन कर रही उतार

सो इनके इस खेल में
पीस रहा इंसान
ए सी कूलर के साथ
करे युद्ध घमासान

ए सी कूलर हारा
आइसक्रीम गई पिघल
सूरज का चढ़ता पारा
कई जाने रहा निगल

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अब ए सी तपती धूप से
कौन बचाये सोचो
ज्यादा कुछ ना कर पाओ
तो सूरज उदय होने से रोको

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जैसे जैसे गर्मी बढ़ती है। वैसे वैसे जीवन जीना बड़ा ही मुश्किल होता है। गर्मी पर लिखी यह कविता इसी जीवन के दुःख मजेदार तरीके से प्रस्तुत करती है।

गर्मी पर कविता | Summer Season Kavita

गर्मी का मौसम
रहो बचके जनाब
खूब पीओ पानी
और पहनो हिजाब

क्योंकि लगी यदि
गर्मी की नजर
तो दुनिया में आप
नहीं आयेंगे नजर

अतः सूरज का
ना करें दीदार
क्योंकि जनाब
आप हैं समझदार

पढ़ें कविता – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

गर्मी के मौसम में जब गर्मी बढ़ती है। तो कूलर ए. सी. भी फेल हो जाते हैं। गर्मी में आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक बड़ी प्यारी लगती है। गर्मी पर कविता | Summer Season Poem | Kavita | Poetry Hindi Read – Health Tips in Hot Days

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पहले एक ज़माना था जब गर्मी के मौसम में लोग छाछ, लस्सी का सेवन करते थे। Watch Poetry – Winter Mausam

आपको गर्मी पर यह कविता कैसी लगी। इस बारे में हमें आप अपने अमूल्य विचार अवश्य बतायें। गर्मी पर कविता | Summer Season Poem | Kavita | Poetry Hindi

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