कजरी तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है | Why do We Celebrate Kajali Festival in Hindi – कजली तीज का त्यौहार भारतीय संस्कृति का पति पत्नी के प्रेम से जुड़ा बड़ा ही प्यारा त्यौहार है . कजरी तीज को ही कजली तीज, सातू तीज, बड़ी तीज व बूढी तीज कहते हैं .
कजरी तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
कजरी तीज का त्यौहार स्त्रियों के लिए बड़ा ही महत्व रखता है . इस पर्व पर पत्नियाँ पति के लिए लम्बी उम्र व समृद्धि की कामना करती है . इस पर्व पर सुहागन स्त्रियाँ माँ पार्वती व भगवान शिव का पूजन करती है . भगवान शिव व माँ पार्वती के आशीर्वाद से पति पत्नी को परम सौभाग्य प्राप्त होता है . शिव पार्वती प्रसन्न होकर उनके जीवन में चार चाँद लगाते हैं . इस पूजन में माँ कजरी व निमाड़ी माता की पूजा शामिल रहती है .
कजरी तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है | Why do We Celebrate Kajali Festival in Hindi
इस दिन गाँव गाँव व कस्बों में घर, आँगन में झूले डाले जाते हैं . साथ ही माँ सती को प्रसन्न करने हेतु कजरी गीत गायें जाते हैं . इस दिन स्त्रियाँ खूब श्रृंगार कर देवी का पूजन करती है वह कजरी के समान खुद की साज सज्जा रखती है .
कजली तीज का त्यौहार कब मनाया जाता है
रक्षा बंधन के 3 दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी के 5 दिन पहले कजली पर्व मनाया जाता है . इस प्रकार यह देखा जाए तो भाद्रपद कृष्ण तृतीया को आता है . इसे बूढी तीज, सातू तीज, बड़ी तीज, कजरी तीज जैसे विविध नामों से जाना जाता है. यह पर्व सावन का महिना खत्म होने के बाद आता है और सामान्यत अंग्रेजी महीनों के हिसाब से देखें तो अगस्त या सितम्बर माह में यह पड़ता है .
इसलिए कहीं बार इस पर्व के दिन बारिश का मौसम भी रहता है या फिर मौसम खुशनुमा बना रहता है .
प्रसिद्ध कजली मेला कहाँ का है
यदि हम कजली त्यौहार की बात करें तो राजस्थान के हाडोती के केंद्र बिंदु बूंदी का कजली त्यौहार व मेला बड़ा ही फेमस है . हाडोती का यह बूंदी शहर जितना ख़ूबसूरत है वैसी ही ख़ूबसूरत यहाँ की संस्कृति है. यहाँ कजरी उत्सव के दौरान दो दिन मुख्य बाज़ार से रंगारंग झांकियां निकली व तीज माता की शोभा यात्रा निकलती है . जिसमें यहाँ के युवा, बच्चे, महिलाएं , गणमान्य नागरिक सभी शामिल होते हैं.
प्रसिद्ध कजली मेला कहाँ का है | कजली त्यौहार की कहानी
इस कजली माँ की शोभा यात्रा को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं . यह शोभा यात्रा, माँ कजली की सवारी राजा महाराजाओं के काल से चली आ रही है. एक वक्त था जब माँ कजली सोने के रथ व मूर्ति पर सवार होकर निकलती थी .
बूंदी का कजली मेला बड़ा ही फेमस है हर वर्ष इस मेले में बूंदी के गांवों व उसके आस पास के शहरों से लाखों की भीड़ जमा होती है. बूंदी की महिलाएं इस पर्व को बड़े ही धूम धाम से व्रत उपवास व अन्य सांस्कृतिक क्रियाएं करती हुई मनाती है .
कजली त्यौहार की कहानी
कजली पर्व दो कहानी हम पाते हैं . एक कजरी नाम का घने जंगल से घिरा हुआ साम्राज्य था . जहाँ का शासक राजा दादुरे था एक दिन उसकी मृत्यु हो जाती है और रानी नागमती सती हो जाती है . इसके बाद उसका पुत्र वहां का शासन संभालता है.
उसी राज्य में एक गरीब ब्राह्मण रहता था . जिसकी पत्नी बड़े ही धार्मिक स्वभाव की थी . भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन किया करती थी . हमेशा की तरह ही इस बार भी उसने करवा चौथ का व्रत रखा. किन्तु अब उसे अपना व्रत पूजन करने हेतु सवा किलो चने के सत्तू की जरूरत थी.
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रात्रि का समय था और मौसम भी ख़राब था. ब्राहमण उसी रात साहूकार की दुकान पर गया . वहां से उसने घी, शक्कर , चने की दाल व अन्य पूजन सामग्री ली . किन्तु जब वह जाने लगा तो साहूकार के एक खुरापाती नौकर ने चोर चोर कहकर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया . उसने ब्राह्मण पर आरोप लगाया. कि इसने दुकान से अन्य वस्तुए भी चुराई है . इसके बाद सभी ब्राह्मण को पकड कर उसकी तलाश ली . किन्तु ब्राहमण के पास से चने के सत्तू, घी, शक्कर व पूजन सामग्री के अलावा कुछ और नहीं निकला . Read – About Kajali Utsav on Wikipedia
साहूकार ने इस रात में आने का कारण जाना और ब्राहमण की साफगोई देखकर बड़ा ही प्रसन्न हुआ . वह ब्राह्मण के साथ ही उसके घर आया . तथा ब्राह्मण की पत्नी को बहन बना लिया . ब्राह्मण की पत्नी ने चने का पीस का उसका सतू तैयार किया तथा भगवान् शिव व माता पार्वती की पूजा करते हुआ अपना व्रत पूर्ण किया . वह सभी को प्रसाद बांटा . साहूकार कही सारा धन व गहने अपनी इस बहन को देकर चला गया . इस प्रकार ब्राह्मण की गरीबी का नाश हो गया . कजरी तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है | Why do We Celebrate Kajali Festival in Hindi
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